डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत ने राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया है. 18 साल की एंटी इनकंबैंसी के दावे किए जा रहे थे लेकिन चुनाव नतीजों में उल्टे बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है. एक्जिट पोल और दूसरे सर्वे में कांग्रेस की जिस बढ़त का अनुमान जताया जा रहा था वह सब नतीजे आने के बाद हवा-हवाई बातें साबित हो गईं. प्रदेश में 163 सीटों के साथ बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है. इस जीत की तैयारी पार्टी ने साल भर पहले ही कर दी थी. शुरुआती सर्वे में पिछड़ने की आशंका को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने चुनाव प्रचार से लेकर रणनीति तक में बदलाव किया और घर-घर, एक-एक जनता तक पहुंचने की कवायद शुरू की.
बीजेपी ने पिछले साल से ही विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी. इसके लिए पार्टी ने सबसे पहले बूथ स्तर पर काम किया और नए सदस्यों को बनाने खास तौर पर महिलाओं और युवाओं को अपने साथ जोड़ने की रणनीति पर काम किया. बूथ स्तर तक मैनेजमेंट तगड़ा करने के साथ ही पार्टी ने 42,000 से ज्यादा वॉट्सऐप ग्रुप बनाए और कार्यकर्ताओं के साथ समर्थकों से निजी स्तर पर संवाद की कोशिश की. इन कोशिशों ने बीजेपी की जीत की स्क्रिप्ट लिख दी.
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40 लाख बूथ कार्यकर्ताओं और 42,000 वॉट्सऐप ग्रुप का लिया सहारा
बीजेपी ने इस चुनाव को जीतने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने का फैसला किया. नेताओं की रैलियों और चुनाव प्रचार सभाओं के साथ-साथ 40 लाख बूथ कार्यकर्ता तैयार किए गए जो गली-गली तक प्रचार करते दिखे. 42,000 से ज्यादा वॉट्सऐप ग्रुप बनाए गए ताकि मतदाताओं के साथ सीधे जुड़ा जा सके. गृहमंत्री अमित शाह खुद चुनावी रणनीतियों की मॉनीटरिंग कर रहे थे. रैली, भाषण और प्रचार के साथ टेक्नोलॉजी के दम पर बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत की कहानी लिखी.
एक-एक जिले की जिम्मेदारी नेताओं को सौंपी गई
वरिष्ठ नेताओं के जिम्मे एक-एक जिला सौंपा गया. इसके अलावा, पार्टी ने पिछले साल जनवरी से ही बूथ मजबूत करने का काम शुरू कर दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भाजपा ने राज्य के 64,523 बूथों में से हरेक बूथ पर अभियान चलाया. इसके अलावा, मुश्किल लगने वाली सीटों की पड़ताल की गई और फिर जातिगत समीकरणों को देखकर टिकट बांटने का काम किया गया. इसी वजह से केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी उतार दिया गया.
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