डीएनए हिंदी: बीजेपी के नेता और 2 बार पार्षद रहे रोशन सिंह यादव ने पार्टी विधायक के खिलाफ बयान दर्ज कराए हैं. यादव ने आरोप लगाया है कि अशोकनगर से मौजूदा भाजपा विधायक जजपाल जज्जी ने 50 करोड़ रुपये लेकर इस्तीफा दिया था. यादव ने यह बयान ग्वालियर हाई कोर्ट के सामने दर्ज कराया है. इसके बाद कांग्रेस को बीजेपी पर हमला बोलने का एक और अवसर मिल गया है. बीजेपी के लिए अपनी ही पार्टी के नेता का बयान परेशानी का सबब बनता दिख रहा है. रोशन ने कहा कि कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए 2018 में जज्जी ने 50 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी. उस वक्त वह कांग्रेस से ही विधायक थे बाद में बीजेपी में शामिल हुए. इसके बाद कांग्रेस ने भी ट्वीट कर बीजेपी पर हमला बोला है और कहा है कि अब बीजेपी के अपने ही पार्टी का सच बोल रहे हैं.
कोर्ट में दिया बयान फिर अपनी ही बात से पलटे
दरअसल ग्वालियर हाई कोर्ट में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की याचिका पर सुनवाई करते हुए पार्षद रोशन यादव ने कहा कि 50 करोड़ लेकर विधायक पद से इस्तीफा दिया था. जज्जी की ओर से वकील ने उनसे पैसों के लेन-देन से जुड़ा सवाल नहीं पूछा था. इस खबर के सामने आने के बाद अब सोशल मीडिया पर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोला है और कहा कि जो बात कांग्रेस कहती रही है उसकी पुष्टि अब खुद बीजेपी के अपने लोग कर रहे हैं. पटवारी से लेकर विधायक तक सब खरीदे गए हैं.
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हालांकि अपने ही बयान के बाद यादव ने बात को संभालने के इरादे से कहा कि ऐसा मैंने सुना है कि सरकार गिराने के लिए 50 करोड़ रुपये लिए गए. मेरे पास कोई प्रमाण नहीं है और इसलिए मैंने कहीं एफआईआर या कोई और शिकायत दर्ज नहीं कराई है. इस बयान पर घमासान मचना तय माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस इसे आधार बनाकर बीजेपी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ने वाली. बता दें कि प्रदेश में अब चुनावों में 4 महीने से भी कम का वक्त बचा है.
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जजपाल सिंह जज्जी पहले भी रहे हैं विवादों
बता दें कि प्रदेश में जज्जी ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट के माने जाते हैं. विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर जजपाल जज्जी विधायक बने थे. जिस सीट से वह चुनाव लड़े वह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी. 2020 में ज्योतिरादित्य के साथ पार्टी छोड़ने वालों में वह भी शामिल थे और फिर उपचुनाव में जीत दर्ज की थी. उन्होंने लड्डू राम को हराया था जिन्होंने हारने के बाद उनके खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाने का दावा दाखिल किया है. इसकी सुनवाई फिलहाल हाई कोर्ट में चल रही है.
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