मुख्‍तार अंसारी को साढ़े पांच साल की सजा, कोयला कारोबारी रूंगटा को बम से उड़ाने की दी थी धमकी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 15, 2023, 05:33 PM IST

Mukhtar Ansari (File Photo)

Mukhtar Ansari News: मुख्तार अंसारी ने 1997 में नंद किशोर रूंगटा हत्याकांड के गवाह को बम से उड़ाने की धमकी दी थी. इस मामले में कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था.

डीएनए हिंदी: बाहुबली और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को एक और मामले में सजा हुई है. वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट के सिविल जज (सीनियर डिविजन) उज्जवल उपाध्याय ने महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकाने के मामले में मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया. कोर्ट ने अंसारी को इस मामले में साढ़े पांच साल की सजा सुनाई है. साथ ही बाहुबली पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

महावीर प्रसाद रूंगटा कोयला कारोबारी नंद किशोर रुंगटा के भाई हैं. 1997 में नंद किशोर रूंगटा की अपहरण कर हत्या कर दी गई थी.  इसके बाद उनके परिजनों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी. इस मामले में महावीर प्रसाद रूंगटा ने 5 नवंबर 1997 को भेलपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने इस मामले में माफिया मुख्तार अंसारी को आरोपी बनाया और निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी. निचली अदालत ने साल 2000 में अंसारी को दोष मुक्त कर दिया था.

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योगी सरकार में फिर इस मामले को खोल दिया गया. कृष्णानंद राय हत्याकांड और नंद किशोर रूंगटा के अपहरण मामले को आधार बनाते हुए मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. वाराणासी की एमपी एमएलए कोर्ट ने महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकी देने के मामले में दोषी माना और सजा सुनाई.

क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, वाराणसी के भेलपुर थाना क्षेत्र के जवाहर नगर कॉलोनी में रहने वाले कोला कारोबारी नंदकिशोर रूंगटा का ऑफिस था. 22 जनवरी 1997 को मुख्तार अंसारी का साल अताउर रहमान बाबू कोयला कारोबारी बनकर रूंगटा के दफ्तर में पहुंचा था. अताउर ने कारोबार से जुड़े कुछ दस्तावेज दिखाने के बहाने कार में बैठा लिया था. बताया गया कि उसके बाद चाय में नशीली दवा पिलाकर रूंगटा का अपहरण कर लिया गया.

इसके बाद रूंगटा के परिवार को फोन कर 5 करोड़ की फिरौती मांगी गई. परिवार का आरोप है कि उन्होंने यह रकम मुख्तार अंसारी को पहुंची दी थी. इसके बाद भी नंदकिशोर की हत्या कर दी गई. नंद किशोर रूंगटा की लाश आज तक पुलिस को नहीं मिली. सीबीआई ने इस मामले में मुख्तार अंसारी समेत तीन लोगों को आरोपी बनाया. इनमें एक मुख्तार का साला अताउर रहमान बाबू और दूसरा शाहबुद्दीन बताया गया. ये दोनों लोग 26 साल बाद भी सीबीआई की पकड़ में नहीं आए.

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