जब Mulayam Singh Yadav ने कार्यकर्ताओं से कहा- चिल्लाओ कि नेता जी मर गए

हिमानी दीवान | Updated:Oct 10, 2022, 11:43 AM IST

Mulayam Singh Yadav (File Photo)

मुलायम सिंह यादव ने 55 साल के सक्रिय राजनीतिक करियर में कई बार अपने मुलायम अंदाज से सख्त विरोधियों को चित किया. सन् 1984 का यह किस्सा भी ऐसा ही है.

डीएनए हिंदी: नेता जी के नाम से मशहूर रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का आज निधन हो गया. इसी के साथ उनसे जुड़े बीते दिनों के किस्सों की एक ऐसी लहर चली है कि उनके व्यक्तित्व के नए-नए आयाम सामने आ रहे हैं. आज की पीढ़ी जो उन्हें उस तरह नहीं जानती उसके लिए ये किस्से और ये व्यक्तित्व एक अलग इंसान को जानने जैसा हो सकता है. ये तो सभी जानते हैं कि मुलायम सिंह यादव राजनीति में आने से पहले कुश्ती लड़ा करते थे. उनके एक दोस्त तोताराम यादव ने तो यहां तक कहा था कि राजनीति में मुलायम का आना भी कुश्ती की वजह से ही था. उनकी कुश्ती से ही प्रभावित होकर नत्थू सिंह उन्हें राजनीति की दुनिया में ले गए थे और बाद में वही उनके राजनीति गुरु भी बने. 

मुलायम सिंह यादव जब राजनीति में आए तो यहां भी उन्होंने कुश्ती से सीखे दांव-पेंच के जरिए अपनी अलग जगह बनाई. 55 साल तक सक्रिय राजनीति करते हुए उन्होंने कई बार अपने मुलायम अंदाज से अपने सख्त विरोधियों को भी चित कर दिया. उनके राजनीतिक करियर का एक किस्सा काफी मशहूर था. बात है सन् 1984 की जब मुलायम सिंह की हत्या की साजिश रची गई, तब भी सब जानकर भी उन्होंने होश नहीं खोए और फिर वो किस्सा ऐसा आम हुआ कि आज भी उन्हें याद करके सुनाया जाता है.

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4 मार्च 1984 को हुआ था जानलेवा हमला
कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस किस्से का जिक्र मिलता है. जनसत्ता की एक रिपोर्ट के अनुसार सन् 1984 में 2 मार्च से दो दिन के लिए लगातार मैनपुरी और इटावा में मुलायम सिंह यादव की रैलियां थी. 4 मार्च 1984 को रैली के बाद मुलायम अपने एक दोस्त से मिलने गए. रात के 9.30 बज रहे थे जब उन्हें अपनी गाली के आगे गोलियों की आवाज सुनाई दी. बाइक पर सवार हमलावरों ने मुलायम की कार पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. मुलायम की गाड़ी में आग लग गई. 

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कार्यकर्ताओं से कहा- चिल्लाओ कि नेता जी मर गए
इस दौरान यह भी सामने आया कि गोलीबारी खास तौर पर कार के उसी तरफ की गई थी जहां मुलायम बैठा करते थे. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार ये भी कहा जाता है कि गोलीबारी के दौरान ही मुलायम समझ गए थे कि ये उनकी हत्या की साजिश है इसलिए उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे जोर से चिल्लाएं- नेता जी मर गए. उन्हें गोली लग गई ताकि हमलावर वापस लौट जाएं और बाकी लोगों को इस गोलीबारी से नुकसान ना हो. कार्यकर्ताओं ने ऐसा ही किया. सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्यवाही की और आधे घंटे बाद ये गोलीबारी खत्म हुई. जब हमलावर शांत हुए तो पुलिस ने सुरक्षा घेरा बनाया और मुलायम सिंह को कुर्ला पुलिस स्टेशन ले गई. 

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