डीएनए हिंदी: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने प्रतिबंध लगा दिया है. इस बैन के बाद कई मुस्लिम संगठनों ने भी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम संगठनों की ओर से इस फैसले का समर्थन किए जाने के पीछे भी एक बड़ी वजह है. कहा जा रहा है कि पीएफआई (PFI) के खिलाफ पूरे देश में छापेमारी करने, गिरफ्तारी करने और आखिर में पीएफआई को बैन करने से पहले नरेंद्र मोदी की सरकार ने मुस्लिम संगठनों से बातचीत की थी और उन्हें भरोसे में लिया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इतना बड़ा फैसला लेने से पहले खुद पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की ओर से मुस्लिम संगठनों से संपर्क साधा गया था. कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 17 सितंबर को मुस्लिम संगठनों के नेताओं से मुलाकात की थी और पीएफआई के खिलाफ होने जा रही छापेमारी के बारे में उनका राय जानने की कोशिश की थी.
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मुस्लिम संगठनों ने खुलकर रखी थी अपनी राय
अजीत डोभाल और इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने देश के बड़े मुस्लिम संगठनों जैसे कि देवबंदी, बरेलवी और सूफियों से बातचीत की थी और उनकी राय जानी थी. इन संगठनों ने पीएफआई के बारे में अपनी राय खुलकर दी थी. इन संगठनों का कहना था कि पीएफआई चमरपंथी रास्ते पर चल रहा है ताकि भारत में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाया जा सके.
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पीएफआई पर बैन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले का सूफी और बरेलवी संगठनों ने स्वागत किया है. ऑल इंडिया सूफी सज्जादनशीं काउंसिल के चेयरमैन ने कहा कि ऐसे फैसले पर सभी को धैर्य दिखाना चाहिए क्योंकि यह निर्णय चमरपंथी गतिविधियों को रोकने के लिए लिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए.
खुलकर हो रहा है सरकार के फैसले का स्वागत
अजमेर दरगाह के मुखिया जैनुल अब्दीन अली खान ने कहा कि आतंकवाद रोकने के लिए कानून के तहत लिए गए इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, 'अगर देश सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं. देश किसी भी संस्था से बड़ा है. अगर कोई भी व्यक्ति देश तोड़ने की बात करता है तो उसे देश में रहने का कोई हक नहीं है.'
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आपको बता दें कि केंद्रीय एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकानों के बाद सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया था. अब इस संगठन को पूरी तरह से गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है और इस पर पांच साल का बैन लगा दिया गया है. अब सरकार ने इस संगठन के सभी सोशल मीडिया हैंडल को भी हटाने की तैयारी कर ली है.
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