डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री और एनसीपी के नेता अनिल देशमुख (Anil Deshmukh NCP) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अनिल देशमुख को सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) से जमानत मिली. वह खुश हो पाते इससे पहले 10 ही मिनट में उनकी जमानत पर रोक लगा दी गई. भ्रष्टाचार के मामले में अनिल देशमुख जेल में हैं. उनके खिलाफ सीबीआई (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय की जांच चल रही है. मनी लॉन्ड्रिंग (Moeny Laundering) के एक मामले में हाई कोर्ट ने अनिल देशमुख को 4 अक्टूबर को जमानत दी थी. हालांकि, सीबीआई वाले केस में उन्हें जमानत नहीं मिली.
सोमवार को हाई कोर्ट ने अनिल देशमुख को जमानत दी. इसके बाद सीबीआई ने दलील दी कि वह इस फैसले के पास सुप्रीम कोर्ट जाएगा. हाई कोर्ट ने सीबीआई को अनुमति देते हुए जमानत के आदेश पर 10 दिनों के लिए रोक लगा दी. अनिल देशमुख पिछले 13 महीनों से न्यायिक हिरासत में हैं. अनिल देशमुख के वकीलों ने कोर्ट में दलील रखी कि उन्होंने जेल में एक साल से ज्यादा समय बिता लिया है इसलिए अब उन्हें जमानत दे देनी चाहिए.
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जमानत के खिलाफ कोर्ट ने पेश की दलील
सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में पेश हुए अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने जमानत याचिका का विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि अनिल देशमुख उच्च स्तर के भ्रष्टाचार के मामले में शामिल थे जिसने महाराष्ट्र सरकार को प्रभावित किया. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में मिली जमानत को इस केस में जमानत देने का आधार नहीं बनाया जा सकता है.
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सीबीआई के वकील ने कोर्ट में जमानत का विरोध करते हुए यह भी दलील दी कि पूर्व मंत्री और प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते अनिल देशमुख जांच को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में उनकी जमानत पर रोक लगाई जाए. आपको बता दें कि अनिल देशमुख महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार में मंत्री थे. भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था.
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