नीट-यूजी पेपर लीक मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि नीट का प्रशनपत्र लीक हुआ था. NTA ने भी ये बात मानी है. अदालत ने एनटीए से कहा कि हम प्रश्नपत्र लीक के लाभार्थियों की संख्या जानना चाहते हैं, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई. अगर उनकी संख्या के बारे में पता नहीं लगा पाए तो हमें रि-एग्जाम कराना पड़ेगा. इस मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. नीट मामले को लेकर 50 से ज्यादा याचिकाए दाखिल की गई हैं. याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा को रद्द कर फिर से कराने का अनुरोध किया. इस पर केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर विरोध किया. सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि अगर परीक्षा रद्द की गई तो उन लाखों छात्रों का नुकसान होगा जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बात तो साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है. सवाल यह है कि इसकी पहुंच कितनी व्यापक है? पेपर लीक होना एक स्वीकार्य तथ्य है. पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि आप कह रहे हैं कि परीक्षा दोबारा कराएं, ऐसे में बताएं की आपके पास सबूत हैं कि कितने बच्चों ने पेपर लीक का फायदा उठाया? इस पर उनके वकील की तरफ से कहा गया कि लाभार्थियों को ट्रैक करना पूरी तरह से संभव नहीं हैं. बिहार और गुजरात पुलिस के ऐसे कई सबूत मिले हैं, जिन्हें देखकर लगेगा की परीक्षा रद्द की जानी चाहिए.
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सरकार और NTA-CBI को भेजा नोटिस
कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, NTA और CBI को नोटिस जारी कर बुधवार 10 जुलाई को शाम 5 बजे हलफनामा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 11 जुलाई को करेगा.
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