देश में 1 जुलाई से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू हो जाएगा. इसके साथ ही आईपीसी के तहत अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून खत्म हो जाएंगे. केंद्र सरकार ने शनिवार को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. तीनों कानूनों को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिल गई और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को अपनी सहमति दे दी थीं.
कैसे होगा बदलाव
1 जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी ) की जगह भारतीय न्याय संहिता, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा. तीनों कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों और उनकी सजाओं को परिभाषित कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है. ये तीनों कानून पिछले साल 2023 में संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किए गए थे, जो अब देश में लागू किए जाएंगे.
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1 जूलाई से कानून में होंगे ये बदलाव
1. FIR से लेकर कोर्ट के फैसले तक की सुनवाई पूरी तरह से ऑनलाइन होगी.
2.ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के बाद तीन दिन के अंदर ही FIR 2.ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के तीन के अंदर करनी होगी FIR दर्ज करने का प्रावधान
3. सात साल से ज्यादा सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य की जाएगी.
4. यौन उत्पीड़न के मामले में 7 दिनों के अंदर रिपोर्ट जमा करनी होगी.
5. कोर्ट में पहली सुनवाई से पहले 60 दिनों के अंदर आरोप तय किया जाने का प्रावधान.
6. आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के अंदर करना होगा फैसला
7. भगोड़े अपराधियों को लेकर 90 दिनों के अंदर केस दायर करने का प्रावधान
8. आतंकवाद, मॉब लींचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और सख्त बनाया गया.
9. नए कानून में अपराधी को दस साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान होगा, जो बिना किसी इरादे के शादी का वादा करके धोखे से यौन संबंध बनाते हैं.
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