Digital Arrest: आधुनिक समय में जब इंटरनेट हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है वहीं, साइबर अपराधों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है. हाल ही में आगरा की एक स्कूल टीचर को एक व्हाट्सएप कॉल आई, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी एक सेक्स रैकेट में फंसी हुई है. अपराधी ने धमकी दी कि अगर उन्होंने तुरंत पैसे नहीं दिए, तो वह उनकी बेटी की तस्वीरें और वीडियो वायरल कर देगा. यह सुनकर टीचर की तबीयत बिगड़ गई और कुछ ही समय बाद उनका हार्ट अटैक से मौत हो गया. पुलिस की जांच में यह सामने आया कि यह एक प्रकार का डिजिटल अरैस्ट का मामला था. वर्तमान में, साइबर अपराधों के मामलों ने इस विषय पर चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि हम डिजिटल गिरफ्तारी से कैसे बच सकते हैं और साइबर अपराध के शिकार होने से कैसे रोक सकते हैं.
पिछले कुछ समय से साइबर क्राइम ने एक नई दिशा ली है, जहां ठग कॉल के जरिए लोगों से पैसे मांगते हैं. ये अपराधी झूठे तरीके से व्यक्ति को ब्लैकमेल करते हैं. इस प्रक्रिया को आजकल 'डिजिटल आरेस्ट' के नाम से जाना जाता है. ये लोग खुद को पुलिस या प्रशासन के उच्च पदों पर बताकर सामने आते हैं. उनकी प्रोफाइल फोटो में अक्सर वे पुलिस या सेना के अधिकारी की वर्दी में नजर आते हैं, जिसका उद्देश्य सामने वाले में भय उत्पन्न करना होता है.
झूठे आरोपों से करते हैं ब्लैकमेल
साइबर अपराधियों द्वारा अक्सर अज्ञात नंबरों से वीडियो कॉल की जाती है, जिसमें कहा जाता है कि आप या आपके परिवार का कोई सदस्य सेक्स रैकेट, मनी लॉन्डरिंग, या ड्रग्स के मामले में शामिल हैं. इसके बाद, वे बड़ी रकम की मांग करते हैं और लगातार कॉल करके आपको परेशान करते हैं. जब तक उन्हें रकम नहीं मिलती, तब तक आप उनके 'अरेस्ट' में होते हैं. कई बार वीडियो कॉल के दौरान एक नग्न लड़की अचानक दिखाई देती है और वह उस स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल कर ब्लैकमेल करती है. सरल शब्दों में बताएं तो यदि आप उन्हें पैसे देंगे, तो वे आपको 'जमानत' देंगे, जिससे आप उनके डिजिटल अरेस्ट से बाहर निकल सकेंगे. इस दौरान, लोग कानून की कमी का लाभ उठाकर घबरा जाते हैं, क्योंकि इस तरह की डिजिटल अरेस्ट का हमारे कानून में कोई उल्लेख नहीं है. यह एक गंभीर अपराध है, जिसमें निर्दोष व्यक्ति भी फंस जाता है और आर्थिक नुकसान उठाता है.
177 करोड़ रुपये की ठगी
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के अनुसार, साल 2023-24 में डिजिटल ठगी से करीब 177 करोड़ रुपये की ठगी की गई. ये अपराध मुख्यतः डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ-साथ बैंकिंग लेनदेन के जरिए अंजाम दिए गए. इस तरह के ऑनलाइन अपराध तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, जिससे कई लोग शिकार हो रहे हैं.
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साइबर अपराध से बचने के उपाय:
अगर आपके या आपके किसी जानने वाले के साथ ऐसी कोई घटना होती है, तो आपको क्या करना चाहिए. सबसे पहले, भारत सरकार द्वारा जारी किए गए पोर्टल Cybercrime.gov.in पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करें. इस तरह की घटना के तुरंत बाद अपने बैंक को सूचित करें। किसी भी अनजान कॉल का उत्तर न दें. इन मामलों के देखरेख करने वाले पुलिस अधिकारी कहते हैं कि इस स्थिति में व्यक्ति को घबराने की आवश्यकता नहीं है.
साइबर अपराध से बचने के उपाय:
- मजबूत पासवर्ड का प्रयोग करें: एक मजबूत पासवर्ड बनाना और उसे नियमित रूप से बदलना बहुत जरूरी है.
- Two-factor authentication: अधिकांश ऑनलाइन सेवाएं अब दो-चरणीय प्रमाणीकरण की सुविधा प्रदान करती हैं.
- अनजान लिंक से बचें: कभी भी अनजान ईमेल या संदेश में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें. ये लिंक अक्सर फिशिंग के लिए उपयोग किए जाते हैं.
- एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग: अपने डिवाइस पर एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर स्थापित करें और उसे नियमित रूप से अपडेट रखें. यह आपके सिस्टम को वायरस और अन्य मालवेयर से बचाता है.
- व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें: सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे फोन नंबर या पते को साझा करने से बचें.
सजग रहने की जरूरत
डिजिटल गिरफ्तारी और साइबर अपराधों से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता की आवश्यकता है. सरकार और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए.नागरिकों को अपने डिजिटल दुनिया के प्रति सजग रहना चाहिए ताकि वे साइबर अपराध के शिकार न बनें. सही जानकारी और सावधानी बरतने से हम सभी एक सुरक्षित डिजिटल दुनिया की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.
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