भारत के अलावा इन देशों में भी फैल रहा है निपाह वायरस, जानिए कितना है खतरा

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 16, 2023, 09:27 AM IST

Nipah Virus Update News Hindi Kerala 

Nipah virus: निपाह वायरस की अब तक ना तो इसके इलाज की कोई दवा है ना कोई वैक्सीन बनाई है. ऐसे में आइए जानते हैं कि यह भारत के लिए कितना खतरनाक है.

डीएनए हिंदी: भारत में निपाह वायरस ने दस्तक दे दी है और केरल में इसके मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत के साथ दुनिया के कई और देशों में  निपाह वायरस तेजी से बढ़ रहा है. जानकारों के अनुसार निपाह वायरस से पीड़ित लोगों की मृत्यु दर कोरोना वायरस से होने वाली मौतों से भी ज्यादा है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के चीफ डॉक्टर राजीव बहल ने कहा कि निपाह वायरस से होने वाली मौतों की दर कोरोना से भी ज्यादा है. आइए जानते हैं कि ICMR चीफ और कुछ क्या कहा है...

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वायरस अब तक   मलेशिया, सिंगापुर, बांग्लादेश, फिलीपींस और भारत में रिपोर्ट किया गया है. 2018 के बाद से केरल में चौथी बार सामने आया है. तब इस वायरस से 23 लोग संक्रमित हुए थे, जिनमें से 21 लोगों की जान चली गई थी. वहीं, 2019 और 2021 में दो लोगों की मौत हुई थी. कोरोना की तुलना में निपाह वायरस अधिक खरतनाक बताया जा रहा है क्योंकि  इसका ना कोई इलाज है और ना ही इसके इलाज के लिए कोई वैक्सीन अब तक बन पाई है. 

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ICMR के चीफ ने दी ऐसी जानकारी 

ICMR के चीफ डॉ राजीव बहल ने भारत में फ़ैल रहे निपाह वायरस को लेकर कहा कि निपाह वायरस की मृत्यु दर 40-70 प्रतिशत के बीच है, जबकि कोविड की 2-3 प्रतिशत थी.  केरल के कोझिकोड में शुक्रवार निपाह वायरस के एक नए मामले की पुष्टि हुई, जिससे राज्य में अब संक्रमित लोगों की कुल संख्या छह हो गई है. पहले के दो मामले घातक रहे हैं. इसके साथ केरल में निपाह वायरस के बार-बार फैलने और कोविड की तुलना में इसकी अधिक मृत्यु दर को ध्यान में रखते हुए इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए एक टीका बनाने का काम जल्द शुरू करने की बात कही है.  डॉ राजीव बहल ने बताया कि हमें 2018 में ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की कुछ खुराकें मिलीं. मौजूदा समय में हमारे पास सिर्फ इतनी ही दवा है जिससे हम 10 मरीजों का इलाज कर सके. 

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कहां से फैला निपाह वायरस?

वायरस की पहचान पहली बार 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में लोगों के बीच बीमारी के प्रकोप के दौरान हुई थी. साल 1998-99 में इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे.अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें से करीब 40% मरीज़ ऐसे थे, जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और उन्हें बचाया नहीं जा सका था. वहीं, लक्षण की बात करें तो इस वायरस से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति 3 से 14 दिन तक तेज बुखार और सिरदर्द का सामना कर सकता है. इंफ़ेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि लगभग आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं.

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