Nithari Case: लापता 19 बच्चों को किसी ने नहीं मारा, डी-5 में नहीं था कोई आदमखोर

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 17, 2023, 02:16 PM IST

निठारी केस के मुलजिम सुरेंद्र कोली (बाएं) और मोनिंदर सिंह पंढेर.

Nithari Case: नोएडा से लापता हुए बच्चों के परिजनों और आम जनता को बड़ा झटका लगा जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया. अब सवाल है कि अगर ये दोनों मुजरिम नहीं हैं तो बच्चों की हत्या किसने की?

डीएनए हिंदी: वह जाड़े की एक सनसनी भरी सुबह थी, जब नोएडा के सेक्टर-31 स्थित निठारी के नाले से रूह थर्रा देने वाली खबर निकली थी. यह दिन था 29 दिसंबर 2006, यानी आज से लगभग 17 साल पहले निठारी के नाले से एक-दो नहीं बल्कि 19 कंकाल निकले थे. इस केस में निठारी की जनता ने देखा था कि कैसे जांच एजेंसी नाले की खुदाई करवा रही है और वहां से कंकाल निकल रहे हैं. ये कंकाल 18 मासूम बच्चे और एक युवती के थे. इस मामले में जांच एजेंसी ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को गिरफ्तार किया था. उस समय मीडिया में लगभग रोज छपने वाले बयान पुलिस के बयान और अनुसंधान रिपोर्ट के बाद पूरी दुनिया ने मान लिया था कि सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर आदमखोर हैं. लेकिन तब नोएडा से लापता हुए बच्चों के परिजनों और आम जनता को बड़ा झटका लगा जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन दोनों को बरी कर दिया. अब सवाल यह है कि अगर कोली और पंडेर मुजरिम नहीं हैं तो बच्चों की हत्या किसने की?

दिल्ली के एक अंग्रेजी दैनिक में बतौर क्राइम रिपोर्टर काम कर चुकी नेहा त्यागी ने भी तब निठारी पर कई खबरें लिखी थीं. वे फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं. उन्होंने कहा कि अभी उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले की स्टडी नहीं की है. पर यह केस जिस तरह से पब्लिक के बीच ओपन था, जितनी तरह के जांच किए गए थे, जैसे साक्ष्य सामने आए थे, उनसे इस केस के क्लू जोड़े जा सकते थे. जाहिर है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को जोड़कर कोर्ट में पेश करने में जांच एजेंसी नाकाम रही, नतीजतन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. 

मुलजिमों की मंशा
क्या सुप्रीम कोर्ट में इसकी अपील की जा सकती है - पूछे जाने पर नेहा ने कहा, बिल्कुल की जा सकती है. बल्कि जांच एजेंसी को चाहिए कि वह परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की कड़ी सही तरीके से जोड़े और कोर्ट में पेश करे तो दोनों आरोपी को मुजरिम साबित किया जा सकता है. इसके साथ ही नेहा ने जोड़ा कि लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि 17 साल पहले के केस में अभी हम यहां तक पहुंचे हैं, फांसी की सजा खारिज कर दी गई. अब सुप्रीम कोर्ट में अपील किए जाने पर न्याय प्रक्रिया में 10-12 साल लग सकते हैं, आखिर इतने दिनों तक तो मुलजिमों को राहत मिल ही जाएगी न? और इन दोनों मुलजिमों की ख्वाहिश भी तो यही होगी न कि केस जितना लंबा खिंच सके खिंचे.

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दर्ज हुए थे कुल 16 केस
बता दें कि 2005 से 2006 के बीच नोएडा में हुए इस कांड में सीबीआई ने कुल 16 केस दर्ज किए थे. सीबीआई कोर्ट ने इनमें से 14 केस में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई थी. इसी तरह मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ कुल 6 मामले थे जिसमें से 3 में उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी. अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 12 केस और पंढेर को कुल 2 केस में राहत दे दी है. अभी भी सुरेंद्र कोली को दो और पंढेर को एक केस में फांसी की सजा दी जानी है. 

50 मीटर का रहस्यमय इलाका
2005-06 के बीच निठारी चौकी क्षेत्र से कुल 34 बच्चे लापता हुए थे. तब लापता हुए इन बच्चों की जांच का जिम्मा इंस्पेक्टर विनोद पांडेय पर था. उनकी जांच में यह बात सामने आई थी कि निठारी में 50 मीटर का एक दायरा ऐसा है, जहां से बच्चे लापता हो रहे हैं. इसे ब्लैक स्पॉट मानकर यहां पुलिस पिकेट बना दिया गया. तब यह मामला सबको बेहद रहस्यमय लगा था. पर लापता बच्चों का कोई क्लू नहीं लग पा रहा था. 

गायब हुई पायल तो हाथ आया क्लू
इसी बीच इस इलाके से पायल नाम की 22 वर्ष की एक युवती लापता हो गई. पायल के पास अपना एक मोबाइल था. उसके लापता होने के बाद उसका भी कुछ पता नहीं चल रहा था. तब पुलिस ने मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगा दिया. अचानक 21 दिसंबर को पुलिस ने पाया कि पायल का मोबाइल ऑन हुआ है. सर्विलांस के जरिए लोकेशन पता करती हुई पुलिस ने एक शख्स के पास से पायल का मोबाइल बरामद कर लिया. 

रिक्शेवाले को मिला था पायल का मोबाइल
उस शख्स ने पूछताछ में बताया कि यह फोन उसे एक रिक्शेवाले से मिला है. रिक्शेवाले को ढूंढ़कर पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो उसने बताया कि उसके रिक्शे पर नोएडा के सेक्टर 37 से एक शख्स बैठा था, जो सेक्टर 31 में एक कोठी के सामने उतरा था. पुलिस ने जब रिक्शेवाले को लेकर उस इलाके में गई तो वह कोठी डी-5 निकला, जो मोनिंदर सिंह पंढेर का था. इस मकान के सारे नौकरों की शिनाख्त परेड कराई गई, लेकिन रिक्शावाला किसी को पहचान न सका. 

गढ्डे से निकला कोली का सिम
हां, रिक्शेवाले ने पुलिस को यह जानकारी जरूर दी कि रिक्शे पर जो मोबाइल छूटा था, उसमें एक सिम कार्ड लगा था, जिसे उसने एक गड्ढे में दबा दिया है. पुलिस ने जब सिम बरामद कर उसकी जांच कराई तो वह सुरेंद्र कोली के नाम का निकला. डी-5 के नौकरों में सुरेंद्र कोली भी शामिल था, पर जब पुलिस वहां दोबारा पहुंची तो वह फरार हो चुका था.

नाली से निकले 19 कंकाल
पुलिस ने फरार हुए सुरेंद्र कोली का पता लगाकर उसे अल्मोड़ा से दबोच लिया. तब उसने पुलिस के सामने स्वीकारा कि उसी ने बच्चे गायब किए और उन्हें मारकर खा गया. उनके कंकाल नाली में फेक दिए. तब पुलिस उसे लेकर डी-5 कोठी के पास आई. और उसके बताए नाले से जेसीबी मशीन से गाद निकलवाए तो वहां से कंकाल निकलने का सिलसिला शुरू हुआ.

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