कांग्रेस ने शपथ ग्रहण में नहीं बुलाया, अब केजरीवाल से मिलने पहुंचे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 21, 2023, 11:55 AM IST

Nitish Kumar meets Arvind Kejriwal

Kejriwal Nitish Kumar: बिहार के सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचे हैं.

डीएनए हिंदी: कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. विपक्षी पार्टियों ने गठबंधन के लिए गोलबंदी शुरू कर दी है. हाल ही में हुए सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में कई नेताओं को बुलाया गया था लेकिन अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाया गया. अब अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव दिल्ली पहुंचे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि वह अकेले नहीं छोड़े गए हैं और उन्हें भी साथ लेकर चला जाएगा.

पिछले दिनों भी नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी. नीतीश कुमार ने इसी क्रम में विपक्ष के कई नेताओं से भी मुलाकात की है. हालांकि, दिल्ली और पंजाब को लेकर कांग्रेस सहज नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस खुद को इन दोनों राज्यों में मजबूत मानती है और यहां वह केजरीवाल को खुली छूट देने के पक्ष में नहीं है. अंदरखाने की खबर यह भी है कि नीतीश कुमार वही भूमिका निभा रहे हैं जो दोनों पार्टियों के बीच पुल का काम करे और हर हाल में दोनों पार्टियां और इन्हीं की तरह बाकी की पार्टियां भी सीटों के बंटवारे पर सहमत हो जाएं.

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सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में खंडित दिखी थी विपक्षी एकता
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में कांग्रेस ने विपक्ष की एकता दिखाने की कोशिश तो की लेकिन कई अहम नेताओं को न्योता ही नहीं भेजा गया. इसमें अरविंद केजरीवाल, केसीआर, जगन मोहन रेड्डी, मायावती, नवीन पटनायक और पिनराई विजयन भी थे. हालांकि, अभी भी कहा जा रहा है कि भले ही कांग्रेस इन नेताओं से उतनी सहज न हो लेकिन नीतीश कुमार कोशिश कर रहे हैं कि वह सबको एक मंच पर ले आएं.

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दरअसल, विपक्षी पार्टियों की कोशिश है कि क्षेत्रीय दल जहां मजबूत हों वहां कांग्रेस उनका समर्थन करे और जहां कांग्रेस मजबूत हो वहां उसका साथ बाकी सब दें. इस फॉर्मूले के तहत कांग्रेस को कहा जा रहा है कि वह उन 200 से 250 सीटों पर मजूबती से लड़े जहां उसका सीधा मुकाबला बीजेपी से है. इसके बदले में वह उन सीटों पर चुनाव न लड़े जहां वह मजबूत नहीं है.

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