डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले की पुलिस ने एक अंतरराज्यीय कार चोरी गिरोह का भंडाफोड़ किया है. दिल्ली एनसीआर और मेरठ से गाड़ियां चुराने वाले इस गिरोह के 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जो ऑन डिमांड लग्जरी गाड़ियां चुराते थे. पुलिस के मुताबिक, ये लोग गाड़ियां चुराकर उन्हें पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मणिपुर, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में बेच देते थे. इसके लिए बाकायदा कार के चेसिस और पेपर से भी छेड़छाड़ की जाती थी ताकि गाड़ियों को ट्रेस न किया जा सके. पुलिस ने इन लोगों के पास से लगभग ढाई करोड़ कुल कीमत वाली 10 गाड़ियां भी बरामद की हैं.
नोएडा के पुलिस उपायुक्त हरीश चंदर ने कहा, 'यह कारों की चोरी में शामिल लोगों की एक पूरी चेन है. इसमें ताला तोड़कर चोरी करने वालों से लेकर, उसके चेचिस नंबर से छेड़छाड़ करने वाले और खरीदारों को दिए जाने वाले दस्तावेज में जालसाजी करने का काम करने वाले शामिल हैं. कुल मिलाकर, इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा और गुरुग्राम से चोरी की गई 10 कारें बरामद की गई हैं.'
कुछ दिन छिपाकर बदल देते थे नंबर और पेपर
एसीपी 1 रजनीश वर्मा ने बताया कि गिरोह की सूचना मिलने पर सेक्टर 20 थाना और फेज 1 थाना की पुलिस के संयुक्त दल ने कार्रवाई कर गिरोह का भंडाफोड़ किया. उन्होंने बताया कि गिरोह कार चुराने के बाद मेरठ ले जाता था और 'ट्रैकिंग' से बचने के लिए उसे कुछ दिन तक वहीं छिपा देता था. उन्होंने कहा कि मेरठ में वे अपनी तकनीक जिसे ठंडा करना कहते हैं, का उपयोग करते थे और इसके तहत चेसिस नंबर बदलना, जाली दस्तावेज बनाना आदि काम करते थे.
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उन्होंने कहा कि पकड़े गए आरोपियों की पहचान गिरोह के मुखिया साकिब उर्फ दादू, मोहम्मद इमरान, मोनू उर्फ जमशीद, मोहम्मद फरमान, राशिद उर्फ काला, मोहम्मद साहिबजादा, रोहित मित्तल और रंजीत सिंह के रूप में की गई है. उन्होंने बताया कि इस मामले में पकड़े गये आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है और आगे की कार्रवाई की जा रही है. पकड़ी गई गाड़ियों में कुछ ऐसी हैं, जिनका अभी तक नंबर अलॉट नहीं हुआ है. इनके पास से 9 ईसीएम और 1 पिस्टल बरामद हुए.
कैसे होती थी चोरी?
पुलिस ने बताया कि पहले इस गिरोह के सदस्य गाड़ियों की डिमांड के अनुसार रेकी करते थे. इसके बाद गाड़ी के शीशे को तोड़कर चोरी की वारदात को अंजाम दिया जाता था. अगर कार पुश बटन स्टार्ट होती है तो मो. फरमान और राशिद उर्फ काला 'की प्रोग्रामिंग डिवाइस' को एक कार से कनेक्ट कर प्रोग्रामिंग के जरिए 'रिमोट की' तैयार करके कार स्टार्ट करते थे. कार की चोरी में 3 से 4 मिनट लगते थे. इस दौरान गिरोह के अन्य लोग आसपास नजर भी रखते थे. कार स्टार्ट होते ही बताई गई जगह पर बुलाया जाता था. एक दिन में कम से कम दो से तीन गाड़ियां चुराई जाती थी.
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गिरोह फार्च्यूनर को 8-10 लाख, स्कॉर्पियो को 5-6 लाख, क्रेटा को 3-4 लाख, ब्रेजा और स्विफ्ट को 1-2 लाख रुपये में ऑन डिमांड फर्जी दस्तावेज तैयार कर रोहित मित्तल, रंजीत, बप्पा को बेचकर पंजाब, जयपुर, हैदराबाद जैसी जगहों पर भेज देता था. इस पूरे मामले पर पुलिस का कहना है कि हमेशा सेकेंड हैंड गाड़ियां ऑथोराइज डीलर से खरीदें. गाड़ी खरीदने से पहले सर्वे कराएं और बीमा कवर की भी जानकारी लें. गाड़ी की चाबी में रिमोट नहीं है तो उस स्थिति में गाड़ी की खरीदारी ना करें. गाड़ी का जीपीएस काम नहीं कर रहा है तो जांच करें. किसी भी सेकेंड हैंड गाड़ी को खरीदते समय पुष्टि कर लें कि गाड़ी की दो चाबियां है या नहीं.
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