Nusrat Noor: PUBG खेलते-खेलते कैसे JPSC Topper बन गई ये मुस्लिम लड़की, पढ़िए पूरी कहानी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 13, 2022, 08:37 PM IST

JPSC Topper Nusrat Noor अपने पति व बच्चे के साथ.

JPSC Topper Nusrat Noor: रांची निवासी नुसरत नूर एक बच्चे की मां हैं. वे झारखंड स्टेट पब्लिक सर्विस एग्जाम 2022 टॉप करने वाली पहली मुस्लिम महिला हैं.

डीएनए हिंदी: झारखंड राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2022 (Jharkhand State Public Service Examination 2022) के मेडिकल ऑफिसर एग्जाम 2022 में पहली बार एक मुस्लिम महिला ने टॉप किया है. जेपीएससी (JPSC Result) में टॉप करने वालीं नुसरत नूर की कहानी इतनी ही नहीं है बल्कि उनकी लाइफस्टोरी जानकर आप सच में हैरान रह जाएंगे. कंप्यूटर गेम पबजी (PUBG) खेलने की शौकीन नूर विवाहित हैं और एक बच्चे की मां भी हैं. इसके बावजूद उन्होंने महज एक साल की मेहनत के बाद सिविल सेवा जैसा कठिन एग्जाम टॉप करने की उपलब्धि अपने नाम कर ली है.

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एक साल पहले भरा था मेडिकल कैटेगरी में फॉर्म

27 साल की नूर ने महज एक साल पहले सिविल सेवा में जाने की तैयारी शुरू की. उन्होंने जेपीएससी 2022 के लिए मेडिकल कैटेगरी में फॉर्म भरा और मेहनत शुरू कर दी. लिखित परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद पिछले महीने इंटरव्यू में भी जबरदस्त आत्मविश्वास दिखाया. नतीजतन फाइनल रिजल्ट उन्होंने टॉप करन वाली पहली मुस्लिम महिला बनने का इतिहास रच दिया.

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न्यूरोलॉजी एक्सपर्ट हैं नूर, बचपन से ही बनना चाहती थीं डॉक्टर

फिलहाल अपने पति और 2 साल के बेटे के साथ रांची में रहने वाली नुसरत जमशेदपुर की निवासी हैं. उनके पिता नूर आलम टाटा स्टील में कर्मचारी हैं, जबकि मां हाउसवाइफ. नूर बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहती थीं. उन्होंने जमशेदपुर के सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल से प्राइमरी एजुकेशन के बाद राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (RIMS) से साल 2020 में MBBS डिग्री ली. इसके बाद उन्हें अस्पताल में ही जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के तौर पर पोस्टिंग मिल गई. फिलहाल नूर RIMS के न्यूरोलॉजी विभाग में तैनात हैं.

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पढ़ाई के दौरान शादी, पति भी हैं डॉक्टर

नूर का निकाह जूनियर रेजिडेंटशिप पूरी करने के दौरान ही मोहम्मद उमर से हो गया था, जो खुद कंसल्टेंट सर्जन हैं. नूर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उसकी ससुराल में 10 लोग हैं, लेकिन कभी किसी ने पढ़ाई से नहीं रोका. सभी का बेहद सहयोग मिला. इसी कारण पढ़ाई के दौरान ही एक बेटा होने के बावजूद वह सिविल सेवा जैसा कठिन लक्ष्य भी हासिल करने में सफल रहीं. नूर के मुताबिक, मेरे पति ने हमेशा मुझे प्रेरित किया. वह घरेलू कामकाज में भी मेरा हाथ बंटाते थे ताकि मैं पर्याप्त पढ़ाई कर सकूं. मेरा लक्ष्य हासिल करने के लिए उन्होंने यथासंभव हर काम किया. पति के बड़े भाई भी डॉक्टर हैं. उन्होंने भी पढ़ाई के दौरान बेहद सहयोग किया.

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मुस्लिम महिलाओं की स्थिति ने किया प्रेरित

नूर ने मीडिया से कहा कि उन्हें सिविल सेवा एग्जाम में बाजी मारने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा, मुस्लिम महिलाओं को रिजल्ट की परवाह किए बिना आगे बढ़कर सिविल सेवा में प्रवेश के लिए कोशिश करनी चाहिए. महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाने की चाबी भागीदारी और पहल ही है. उन्होंने कहा, मैंने देखा कि सरकारी सेवाओं में मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी बेहद नगण्य है. यह उचित समय है, जब मुस्लिमों को अपनी पढ़ाई पर, खासतौर पर महिलाओं की पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए. 

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