डीएनए हिंदी: ओडिशा के बालासोर में बीते तीन दशकों में सबसे बड़ा ट्रेन हादसा हुआ. इस हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. इस दुर्घटना में अब तक 288 लोगों को मौत हो चुकी है, जबकि 1100 से अधिक यात्री घायल हैं. हालात ऐसे हैं कि हर तरफ लोग अपनो की खोज कर रहे हैं. बालासोर के सरकारी अस्पताल में घायलों को भर्ती कराने के लिए कतार लगी पड़ी है. डॉक्टर भी युद्ध जैसे स्तर पर काम कर रहे हैं. घायलों की जान बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है.
जानकारी के मुताबिक, बालासोर का सरकारी जिला अस्पताल शनिवार को घायल मरीजों से पूरा भर गया. कॉरिडोर से लेकर अस्पताल के बाहर तक घायलों की भीड़ लगी हुई है. मेडिकल कर्मचारी घायल लोगों की जान बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. अस्पतालों में अतिरिक्त बिस्तर बढ़ाए जा रहे हैं. इसके अलावा बालासोर, सोरो, जाजपुर, भ्रदक और कट के एससीबी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में मरीजों को भेजा जा रहा है.
स्कूल को बनाया मुर्दाघर
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा के बालासोर में इस समय स्थिति बहुत भयावाह है. जिले के बहानगा गांव में एक स्कूल में अस्थायी मुर्दाघर बनाया गया है. यह स्कूल करीब एक दशक से बंद पड़ा था. बताया जा रहा है कि ट्रेन हादसे में जैसे-जैसे मरने वालों की संख्या बढ़ती गई, अस्पताल में मुर्दों को रखने की जगह नहीं बची. ऐसे में अधिकारियों ने इन शवों को सुरक्षित रखने के लिए अस्पताल से 300 मीटर दूर इस स्कूल को चुना. इस स्कूल में शवों को सुरक्षित रखा गया है. जिससे परिजन अपनों की पहचान कर सकें.
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प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी
वहीं इस रेल हादसे की जांचकर्ता मानवीय त्रुटि, सिग्नल फेल होने और अन्य संभावित पहलूओं से जांच कर रहे हैं. अधिकारियों ने इस सबसे भयावह रेल हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी है. हादसे में कम से कम 288 यात्रियों की मौत हुई और 1100 से अधिक यात्री घायल हैं. रेल हादसे की प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बाहानगा बाजार स्टेशन से ठीक पहले मुख्य मार्ग के बजाय ‘लूप लाइन’ पर चली गई और वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई. समझा जाता है कि बगल की पटरी पर क्षतिग्रस्त हालत में मौजूद कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकराने के बाद बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के डिब्बे भी पलट गए.
तेज स्पीड पर चल रही थीं ट्रेनें
बता दें कि बालासोर जिले में शुक्रवार की शाम लगभग सात बजे शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से यह हादसा हुआ. दुर्घटना में 17 डिब्बे पटरी से उतर गए और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे सैकड़ों यात्री फंस गए. दोनों यात्री रेलगाड़ियां तीव्र गति से चल रही थीं और विशेषज्ञों ने इसे हताहतों की अधिक संख्या के मुख्य कारणों में से एक बताया है. दुर्घटना स्थल ऐसा लग रहा था, जैसे एक शक्तिशाली बवंडर ने रेलगाड़ी के डिब्बों को खिलौनों की तरह एक दूसरे के ऊपर फेंक दिया हो. मलबे को हटाने के लिए बड़ी क्रेन को लाया गया और क्षतिग्रस्त डिब्बों से शव निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किया गया. हादसे में घायल यात्रियों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
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चंद सेकंड में हिलने लगा सबकुछ- चश्मदीद
दक्षिण भारत में कई महीने काम करने के बाद अपने परिवार के पास लौट रहे 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में सवार कई यात्रियों ने अचानक तेज आवाज सुनी, जिसके बाद वे अपनी सीट से गिर पड़े और बत्ती गुल हो गई. बर्धमान के रहने वाले मिजान उल हक रेलगाड़ी के पिछले हिस्से के एक डिब्बे में थे. कर्नाटक से लौट रहे हक ने कहा, ‘‘ट्रेन तेज गति से दौड़ रही थी. शाम लगभग 7 बजे तेज आवाज सुनाई दी और सबकुछ हिलने लगा. बोगी के अंदर बिजली गुल होते ही मैं ऊपर की सीट से फर्श पर गिर पड़ा.’ उन्होंने कहा कि किसी तरह वह क्षतिग्रस्त कोच से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे. हक ने हावड़ा स्टेशन पर कहा, ‘‘यह बेहद दुखद था कि कई लोग बुरी तरह क्षतिग्रस्त डिब्बे के पास पड़े हुए थे.’
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