वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव का 32 पार्टियों ने किया समर्थन, जानें कितने दलों ने किया विरोध

रईश खान | Updated:Sep 18, 2024, 08:37 PM IST

former President Ram Nath Kovind committee

वन नेशन-वन इलेक्शन पर राय लेने के लिए 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था जिनमें से 47 ने जवाब दिया. इनमें से 32 ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया.

मोदी कैबिनेट ने बुधवार को वन नेशन-वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अब इसका बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. समिति की रिपोर्ट के अनुसार ‘एक देश, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था जिनमें से 47 ने जवाब दिया. इनमें से 32 ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया, जबकि 15 ने इसका विरोध किया.

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 राजनीतिक दलों ने कोई जवाब नहीं दिया. राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने प्रस्ताव का विरोध किया. जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने इसका समर्थन किया. रिपोर्ट में कहा गया, ‘47 राजनीतिक दलों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं. 15 राजनीतिक दलों को छोड़कर शेष 32 राजनीतिक दलों ने न केवल एक साथ चुनाव की प्रणाली का समर्थन किया, बल्कि सीमित संसाधनों को बचाने, सामाजिक सद्भाव की रक्षा करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए इसे अपनाने की वकालत भी की.

रिपोर्ट में कहा गया कि एकसाथ चुनाव का विरोध करने दलों का कहना है कि इससे संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन हो सकता है, यह लोकतंत्र और संघीय व्यवस्था विरोधी हो सकता है, इससे क्षेत्रीय दलों को हाशिए पर डाला जा सकता है और राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व को बढ़ावा मिल सकता है.’ समिति ने मार्च में ही सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी.

AAP-कांग्रेस ने क्या कहा?
रिपोर्ट के अनुसार, ‘AAP, कांग्रेस और माकपा ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे को कमजोर करता है. बसपा ने इसका स्पष्ट रूप से विरोध नहीं किया, लेकिन देश के बड़े क्षेत्रीय विस्तार और जनसंख्या के संबंध में चिंताओं को उजागर किया. सपा ने कहा कि अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो जहां तक ​​चुनावी रणनीति और खर्च का सवाल है तो राज्य स्तरीय पार्टियां राष्ट्रीय पार्टियों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी. टीएमसी, AIUDF, AIMIM, डीएमके और नगा पीपुल्स फ्रंट प्रस्ताव का विरोध किया.

इन पार्टियों ने किया समर्थन
सत्ताधारी बीजेपी के अलावा अन्नाद्रमुक, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, अपना दल (सोनेलाल), असम गण परिषद, बीजू जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी (आर), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिवसेना, जनता दल (यूनाइटेड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने प्रस्ताव का समर्थन किया. (PTI-इनपुट)

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