डीएनए हिंदी: साल 2024 की गणतंत्र दिवस परेड बेहद खास होने जा रही है. केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली इस परेड में सिर्फ महिलाएं शामिल होंगी. मार्च पास्ट, झांकियों और सभी परफॉर्में की जिम्मेदारी पूरी तरह से महिलाओं के जिम्मे ही होगी. केंद्र सरकार ने इसके संबंध में सभी विभागों को सूचित भी कर दिया है. हालांकि, इसमें एक समस्या यह है कि कई सैन्य टुकड़ियां और विभाग ऐसे हैं जो हर साल परेड में हिस्सा लेते हैं लेकिन उनमें महिलाओं की संख्या इतनी है ही नहीं कि सिर्फ वही प्रतिनिधित्व कर सकें.
रक्षा मंत्रालय ने सैन्य बलों और परेड में शामिल होने वाले अन्य सरकारी विभागों को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि मार्च पास्ट करने वाले दस्ते और उनके साथ जुड़े बैंड तथा झांकियों में सिर्फ महिला प्रतिभागी होंगी. इस पत्र ने कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को आश्चर्य में डाल दिया है और भ्रम की स्थिति पैदा की है. कई लोगों का मानना है कि इसके लिए सेना में पर्याप्त महिलाएं उपलब्ध नहीं हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि मार्च करने वाली कुछ टुकड़ियों में केवल पुरुष होते हैं.
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हैरान हैं सेना के अधिकारी
गौरतलब है कि सशस्त्र बलों ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को कमान की भूमिका सौंपने, भविष्य की नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए तैयार करने और आर्टिलरी रेजीमेंट में शामिल करने जैसे कई उपाय किए हैं. जानकारी के मुताबिक, परेड में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने का फैसला 7 फरवरी को हुई एक बैठक के दौरान लिया गया था.
रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने की अध्यक्षता में हुई बैठक में सेना, नौसेना, वायु सेना, गृह मंत्रालय, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया था. बैठक के लगभग एक महीने बाद, रक्षा मंत्रालय ने 1 मार्च को भाग लेने वाले बलों, मंत्रालयों और विभागों को औपचारिक रूप से एक पत्र जारी किया. इस पत्र में कहा गया है कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि कर्तव्य पथ पर परेड में शामिल होने वाली टुकड़ियों (मार्चिग और बैंड), झांकी और अन्य प्रदर्शनों में केवल महिला प्रतिभागी होंगी.
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कैसे पूरी होगी महिलाओं की संख्या?
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस परेड में पैदल सेना के मार्चिंग दस्ते में जवानों की संख्या सबसे ज्यादा होती है. अधिकारियों का तर्क है कि अभी तक पैदल सेना में महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है. उनका कहना है कि मार्चिंग टुकड़ियों का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों में अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मी (पीबीओआर) होते हैं और सेना में पीबीओआर की महिला कर्मी केवल सैन्य पुलिस कोर में होती हैं.
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