ऑपरेशन ब्लू स्टार की 39वीं बरसी, स्वर्ण मंदिर में जुटे खालिस्तान समर्थन, भिंडरावाले के लिए की नारेबाजी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 06, 2023, 09:27 AM IST

Khalistan Supporters

Operation Blue Star Anniversary: ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर खालिस्तान और भिंडरावाले के समर्थक एक बार फिर स्वर्ण मंदिर पर जुटे और नारेबाजी की.

डीएनए हिंदी: अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के 39 साल पूरे हो गए हैं. इस घटना की 39वीं बरसी पर खालिस्तान समर्थक स्वर्ण मंदिर में इकट्ठा हुए और जरनैल सिंह भिंडरावाले के समर्थन में नारेबाजी की. साथ ही, भिंडरावाले की तस्वीरों वाले पोस्टर भी लहराए गए. इसी तरह की तस्वीरें लगभग हर साल सामने आती हैं. दरअसल, सिख समाज का एक बड़ा तबका भिंडरावाले को संत मानता है. भिंडरावाले को खत्म करने के लिए सेना स्वर्ण मंदिर में घुसी थी क्योंकि वह हथियारों के साथ छिपा हुआ था और लगातार हमले कर रहा था.

स्वर्ण मंदिर के तख्त के बाहर जुटे खालिस्तान समर्थक अपने हाथ में भिंडरावाले के पोस्टर लेकर आए थे. इन लोगों ने यहां नारे लगाए, 'अकाल तख्त तों आई आवाज, खालिस्तान जिंदाबाद'. बता दें कि कट्टरपंथियों के एक गुट की मांग है कि अलग खालिस्तान बनाया जाए. इसमें भारत और पाकिस्तान के उन इलाकों को शामिल करने की बात कही जाती है जहां सिख समुदाय के लोग रहते हैं.

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क्या है ऑपरेशन ब्लू स्टार?
70 और 80 के दशक में अलग 'खालिस्तान' बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी. इसी के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस ऑपरेशन का फैसला लिया था. शुरुआत 1 जून 1984 को हुई थी. 3 जून को भारतीय सेना अमृतसर में दाखिल हुई और स्वर्ण मंदिर को घेर लिया गया. शाम तक कर्फ्यू लगा दिया गया था. 4 जून को सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी, ताकि चरमपंथियों के हथियारों का अंदाजा लगाया जा सके. शाम होते-होते इंदिरा गांधी ने सेना को स्वर्ण मंदिर परिसर में घुसने और ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू करने का आदेश दे दिया.

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इस ऑपरेशन में जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके कई साथी मारे गए. भिंडरावाले दमदमी टकसाल का मुखिया और एक संत था इस वजह से सिख समुदाय में इस घटना को लेकर काफी रोष था. ऑपरेशन ब्लू स्टार में अकाल तख्त लगभग तबाह हो गया था. बाद में इंदिरा गांधी के हत्यारों ने इसी घटना का बदला लेने के लिए ही उन्हें गोली मारकर उनकी जान ले ली थी.

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