Farooq Abdullah बोले- बाहरियों को वोटर बनाने के पक्ष में नहीं है कोई पार्टी, कोर्ट तक जाएंगे

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 22, 2022, 04:52 PM IST

फारूख अब्दुल्ला के घर पर हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक

Farooq Abdullah Meeting: फारूख अब्दुल्ला ने अपने घर पर हुई विपक्षी पार्टियों की मीटिंग के बाद कहा है कि पार्टियां बाहरी लोगों को वोटर बनाने के पक्ष में नहीं हैं और इसके खिलाफ कोर्ट तक भी लड़ाई लड़ी जाएगी.

डीएनए हिंदी: जम्मू-कश्मीर में वोटर लिस्ट में बाहरियों का नाम जोड़ने का मुद्दा अब राजनीतिक विरोध की शक्ल लेता जा रहा है. इसी मामले को लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला के घर सभी विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बुलाई गई. इस बैठक के बाद फारुख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा कि बाहरी लोगों को जम्मू-कश्मीर का वोटर बनाने के पक्ष में कोई भी पार्टी नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में विपक्षी पार्टियां कोर्ट तक जा सकती हैं. हालांकि, इस बारे में कोई फैसला अगले महीने होने वाली बैठक में लिया जाएगा.

फारुख अब्दुल्ला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हम राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं से बात करेंगे और अन्य पार्टियों के नेताओं को भी जम्मू-कश्मीर बुलाएंगे और उनसे यहां के हालात पर चर्चा करेंगे. यह मीटिंग अगले महीने होगे. जम्मू-कश्मीर में दूसरे राज्यों के लोगों को मतदाता बनाना न सिर्फ़ जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए खतरनाक है बल्कि बाहरी राज्यों के नागरिकों को भी इससे बड़ा खतरा है क्योंकि टारगेटेड किलिंग हो रही है.'

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सज्जाद लोन और अल्ताफ बुखारी की पार्टी मीटिंग से रही दूर
इस बैठक में नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ-साथ पीडीपी, लेफ्ट और कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों के नेता मौजूद रहे. हालांकि, सज्जाद लोन की पीपल्स कॉन्फ्रेंस और अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी ने इस मीटिंग में भाग नहीं लिया. दूसरी तरफ, बीजेपी ने भी अपने नेताओं की जम्मू में एक मीटिंग बुलाई. मीटिंग के बाज रवींद्र रैना ने कहा कि विपक्षियां पार्टियां मिलकर भयानक साजिश कर रही हैं और वे शांति भंग करना चाहती हैं.

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दरअसल, यह पूरा मामला जम्मू-कश्मीर की मतदाता सूची में बाहरी राज्यों के नागरिकों को भी मतदाता बनाने का है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, नई लिस्ट में लाखों की संख्या में नए मतदाता जोड़े गए हैं. हालांकि, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण भी जारी किया लेकिन विपक्षी पार्टियां इस जवाब से संतुष्ट नहीं हैं.

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