Pashupati Paras ने मोदी कैबिनेट से दिया इस्तीफा, इंडिया गठबंधन में हो सकते हैं शामिल 

Written By स्मिता मुग्धा | Updated: Mar 19, 2024, 12:13 PM IST

पशुपति पारस ने दिया इस्तीफा

Pashupati Paras Resign: बिहार में सीट शेयरिंग से नाराज पशुपति पारस ने आखिरकार मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. पारस ने कहा कि मैंने पूरी निष्ठा के साथ एनडीए का साथ निभाया, लेकिन मेरे साथ नाइंसाफी हुई है. 

बिहार में सीट शेयरिंग के बाद एनडीए (NDA) की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. एक भी सीट नहीं मिलने से नाराज पशुपति पारस ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. ऐसी खबरें हैं कि जल्द ही वह इंडिया गठबंधन में शामिल होने का ऐलान कर सकते हैं. सोमवार को ही बिहार में सीट शेयरिंग का ऐलान हुआ है और एनडीए ने 5 सीटें चिराग पासवान की पार्टी को दी है. सूत्रों का कहना है कि लालू यादव ने व्यक्तिगत तौर पर पारस से बात की है और उन्हें 3 सीट देने का आश्वासन दिया है. अब हाजीपुर के चुनावी संग्राम में चाचा और भतीजा आमने-सामने होंगे. 

हाजीपुर की सीट पर आमने-सामने होंगे पारस और चिराग 
हाजीपुर की सीट से ही चिराग पासवान इस बार चुनाव लड़ने वाले हैं, क्योंकि यह उनके पिता की पारंपरिक सीट मानी जाती है. इससे पहले वह दो बार जमुई से सांसद चुने गए हैं. अब उनके सामने पशुपति पारस की चुनौती होगी. इस तरीके से हाजीपुर में चाचा और भतीजे की लड़ाई में से जनता को अपना प्रतिनिधि चुनना होगा. हालांकि, बीजेपी हाई कमान ने चिराग पासवान पर भरोसा जताकर दिखा दिया है कि वह पारिवारिक लड़ाई में युवा पीढ़ी के साथ है.


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मेरे साथ नाइंसाफी हुई 
पशुपति पारस ने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा कि मैंने पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ एनडीए की सेवा की है. मेरे साथ व्यक्तिगत तौर पर नाइंसाफी हुई है और मैं इसलिए आज गठबंधन से अलग हो रहा हूं. उन्होंने यह भी कहा कि मैं पीएम मोदी का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे कैबिनेट मंत्री के तौर पर काम करने का मौका दिया है. उन्होंने इंडिया गठबंधन में जाने के सवालों पर कोई जवाब नहीं दिया.


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इंडिया गठबंधन में हो सकते हैं शामिल 
पशुपति पारस के बारे में तय माना जा रहा है कि वह इंडिया गठबंधन में शामिल हो सकते हैं. लालू यादव ने उन्हें 3 सीट देने का भरोसा दिया है. बिहार में अब तक इंडिया गठबंधन ने सीट शेयरिंग का ऐलान नहीं किया है. बिहार की 40 सीटों पर 2019 में एनडीए गठबंधन को बड़ी सफलता मिली थी और 39 सीटें जीती थीं. कांग्रेस के खाते में एक सीट आई थी.  

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