पतंजलि भ्रामक विज्ञापन (Patanjali Misleading Ads) मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. इस मामले में योग गुरु रामदेव ट्रस्ट की ओर से कहा गया कि हमने 67 अखबारों में माफीनामा छपवाया है. माफीनामा प्रकाशन में हमने 10 लाख से ज्यादा रुपये खर्च किए हैं. इस पर कोर्ट ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आपने किस साइज का माफीनामा प्रकाशित करवाया था? उसे देखने के लिए माइक्रोस्कोप की जरूरत तो नहीं पड़ेगी?
सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को पेश होने का आदेश दिया
भ्रामक विज्ञापन मामले में अब तक पतंजलि (Patanjali) पर सुप्रीम कोर्ट का रुख बेहद सख्त रहा है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान एक बार फिर कोर्ट ने पतंजलि के वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा कि केस की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी. इस सुनवाई में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को पेश होने का आदेश दिया है.
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पतंजलि के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि ट्रस्ट की ओर से माफीनामा छपवाया गया है. 67 अखबारो ंमें प्रकाशित माफीनामे के लिए 10 लाख से ज्यादा पैसे खर्च किए गए. इस पर कोर्ट ने कहा कि अखबारों की कटिंग लाकर हमें दिखाएं. मुकुल रोहतगी ने पतंजलि की ओर से पैरवी की. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या माफीनामा उसी साइज का था जिस साइज का विज्ञापन देते हैं?
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माफीनामे का विज्ञापन रिकॉर्ड पर लाने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माफीनामा कल प्रकाशित किया गया है, जबकि यह पहले हो जाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि माफीनामा रिकॉर्ड पर लाया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह सिर्फ पतंजलि तक सीमित नहीं. दूसरी कंपनियों के भ्रामक विज्ञापन भी हमारे लिए उतनी ही चिंता की बात हैं.
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