Bihar News: बिहार ने सोमवार को एक नया इतिहास रचा जब राज्य में पहली बार तीन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को दारोगा पद के लिए नियुक्त किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के बापू सभागार में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम के दौरान 1239 नवचयनित पुलिस अवर निरीक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपे, जिनमें तीन ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं. यह पहली बार है जब बिहार जैसे राज्य में ट्रांसजेंडर समुदाय को इस प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त किया गया है. यह बदलाव राज्य में समावेशी समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
ये हैं ट्रांसजेंडर दारोगा :
- मानवी मधु कश्यप – मानवी मधु कश्यप पहली ट्रांसवुमेन हैं जिन्हें दारोगा पद के लिए नियुक्ति मिली है. उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण पद को हासिल कर समाज में एक नई मिसाल पेश की है.
- रोनित झा – रोनित झा एक ट्रांसमेन हैं जिन्हें दारोगा के रूप में नियुक्त किया गया है. उनकी नियुक्ति समाज के उस वर्ग को प्रोत्साहित करती है जो अब तक पारंपरिक रूप से इस तरह के पदों पर कम देखा गया है.
- बंटी कुमार – बंटी कुमार भी एक ट्रांसमेन हैं, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण पद को हासिल किया है. उनकी नियुक्ति ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक बड़ा प्रेरणास्रोत है.
यह कदम बिहार सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर समुदाय को मुख्यधारा में शामिल करने के प्रयासों का प्रमाण है. समाज में हाशिए पर रहे इस वर्ग के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है और यह इस बात का संकेत है कि राज्य अब हर व्यक्ति को समान अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध है.
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जब नितीश कुमार ने जोड़ लिए हाथ
इसी कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमाम आला अधिकारियों के सामने हाथ जोड़ लिए. पुलिस विभाग की नियुक्ति प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने पर जोर दिया. उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आलोक राज से अपील की कि अगले साल होने वाले चुनाव से पहले पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी को 35 प्रतिशत तक पहुंचाया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा, 'अगले साल चुनाव से पहले ही नियुक्तियां पूरी कर लें, ताकि महिलाओं की संख्या 35 प्रतिशत हो जाए'. सीएम नीतीश कुमार के इस निवेदन के जवाब में डीजीपी आलोक राज ने मंच पर खड़े होकर सैल्यूट किया और भरोसा दिलाया कि जल्द ही पुलिस अवर निरीक्षकों को फील्ड में तैनात किया जाएगा.
ट्रांसजेंडर समुदाय के इन नियुक्तियों से यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार समानता और समावेशिता के सिद्धांतों को महत्व देती है. यह पहल राज्य में अन्य समुदायों को भी प्रेरित करेगी और भविष्य में और ज्यादा समावेशी समाज का निर्माण करेगी.
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