डीएनए हिंदी: इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) यानी पीएफआई (PFI) पर 5 वर्षों का बैन लगा दिया गया है. साथ ही सगंठन की सहयोगी संस्थाओं को भी गैर-कानूनी घोषित किया गया है. इसको लेकर PFI के कार्यकर्ता सरकार का विरोध कर रहे हैं. वहीं अब अजमेर शरीफ दरगाह की तरफ से भी इस मामले में बड़ा बयान जारी किया है और स्पष्ट तौर पर केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर लगे बैन को लेकर अजमेर शरीफ के दरगाह आध्यात्मिक प्रमुख जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा है कि वे इस फैसले का स्वागत करते हैं. दरगाह के प्रमुख ने कहा कि यह कार्रवाई कानून के मुताबिक और आतंकवाद रोकने के लिए की गई है. सभी को इसका स्वागत करना चाहिए और इस पर किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं होना चाहिए.
इन जगहों पर है रावण के मंदिर, नहीं होता हैं दहन, मनता है मृत्यु का मातम
देश की सुरक्षा है अहम
दरगाह के प्रमुख जैनुल आबेदीन खान ने कहा, "देश सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं, देश किसी भी संस्था या विचार से बड़ा है और अगर कोई इस देश, यहां की एकता और संप्रभुता या देश की शांति खराब करने की बात करता है, तो उसे इस देश में रहने का अधिकार नहीं है." उन्होंने इस कदम के लिए मोदी सरकार की सराहना की है."
उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से लगातार PFI की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की खबरें आ रही हैं और इस पर लगाया गया बैन देश के हित में है. उन्होंने कहा, "मैंने खुद पहली बार सरकार से दो साल पहले पीएफआई पर बैन लगाने की मांग की थी." आपको बता दें कि देश के कई राज्यों में पहले ही इस संगठन को बैन करके रखा गया है.
पाकिस्तान को तालिबान की फटकार, कहा - अफगानिस्तान के मामले से दूर रहें
मुस्लिम लीग ने भी किया समर्थन
आपको बता दें कि इस्लामिक संगठनों के नाम पर सबसे पहले यदि कोई आक्रामक होता है तो वह मुस्लिम लीग है लेकिन इस मुद्दे पर मुस्लिम लीग ने भी केंद्र की मोदी सरकार का स्वागत किया है. लीग की तरफ से कहा गया कि यदि यह बैन कानून के आधार पर लगाया गया है तो वे इसका सीधे तौर पर स्वागत करते हैं.
पीएफआई के कार्यकर्ताओं को मुस्लिम संगठनों के छिटकने से और बड़ा झटका लगा है दूसरी ओर संगठन के दफ्तरों और अन्य सभी इलाकों पर सुरक्षा व्यवस्था को राज्य एवं केंद्र की सरकारों द्वारा चाक चौबंद कर दिया गया है जिससे देश में किसी प्रकार की सांप्रदायिक हिंसा न हो सके.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.