PM Modi Birthday: राजनीति! जब मोदी ने 'पितामह' को किया दरकिनार, बने BJP के सबसे बड़े नेता

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 16, 2022, 01:10 PM IST

Narendra Modi के युग शुरुआत में ही लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी में हाशिए पर चले गए थे और वे मोदी की पीएम उम्मीदवारी के पक्ष में भी नहीं थे.

डीएनए हिंदी: साल 2014  में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में बीजेपी ने पहली बार पूर्ण बहुमत की सत्ता का स्वाद चखा था.  90 के दशक तक जो मोदी दिग्गज नेता पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) और लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) के करीबी थे. एक समय ऐसा भी आया जब मोदी ने ही कुछ ऐसे फैसले किए कि कथित पीएम पद के उम्मीदवार आडवाणी ही BJP  में हाशिए पर चले गए. 

दरअसल, गुजरात विधानसभा चुनाव 2012 में जीत के बाद से ही नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय में आने की खबरें चलने लगी थी. 2012-13 के बीच मोदी ने गुजरात के बाहर कई रैलियां की थी. इसके बावजूद आम जनता के मन में यह सवाल था कि यदि बीजेपी जीती तो पीएम कौन बनेगा. बीजेपी के रुख से स्पष्ट था कि मोदी ही पीएम बनेंगे लेकिन पार्टी में आडवाणी गुट यह नहीं चाहता था. 

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नरेंद्र मोदी ने आडवाणी को पछाड़ा

आडवाणी तब तक यह मान रहे थे कि उन्हें पार्टी ज्यादा तरजीह देगी लेकिन पहले जून 2013 में मोदी को बीजेपी की प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया और फिर 13 सितंबर 2013 को उन्हें बीजेपी का पीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया गया. इस दौरान जब संसदीय दल की बैठक हुई तो उसमें बीजेपी के सभी दिग्गज नेता मौजूद थे लेकिन आडवाणी नदारद थे. 

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लोकप्रियता के चलते मिली कमान

तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी की पीएम उम्मीदवारी का ऐलान किया था. खास बात यह भी दिवंगत नेता सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और राजनाथ सिंह भी उस दौरान आडवाणी गुट में थे. इसके बावजूद पार्टी के नेता और अध्यक्ष  राजनाथ सिंह ये समझ रहे थे कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता ही उन्हें जिता सकती है. ऐसे में आडवाणी गुट के नेताओं ने भी नरेंद्र मोदी का साथ छोड़ दिया था. 

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आडवाणी गुट ने भी छोड़ा था साथ 

साल 2014 में तो लालकृष्ण आडवाणी को लोकसभा चुनाव लड़ने को मिला और उन्होंने परंपरागत सीट गांधीनगर से जीत भी दर्ज की लेकिन साल 2019 में पार्टी ने उन्हें चुनाव नहीं लड़वाया. हालांकि सूत्रों का यह कहना था कि वे 2019 में भी चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी उनकी इस मांग पर सहमत नहीं हुई. 

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आपको बता दें कि बाद में उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया था और फिलहाल में राजनीतिक तौर पर सक्रिय भी नहीं है. हालांकि उनके अलावा पार्टी ने  मुरली मनोहर जोशी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया था, बता दें कि अटल बिहारी बाजपेयी का साल 2018 में लंबी बिमारी के बाद देहांत हो गया था.

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