कांग्रेस के नेतृत्व में रही यूपीए सरकार (2004-2014) के खिलाफ मोदी सरकार बड़ा एक्शन लेने वाली है. 10 सालों के आर्थिक कुप्रबंधन को लेकर केंद्र की केंद्र सरकार संसद में श्वेत पत्र लेकर आने वाली है. माना जा रहा है कि यह श्वेत पत्र सदन में शुक्रवार (9 फरवरी) या फिर शनिवार (10 फरवरी) को पेश किया जा सकता है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए भी कांग्रेस और यूपीए सरकार पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने यूपीए 2 के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के साथ ही कांग्रेस पार्टी की मंशा और विपक्षी दलों की नीयत पर भी सवाल उठाए थे.
यूपीए सरकार के कार्यकाल के खिलाफ लाए जाने वाले श्वेत पत्र में आर्थिक कुप्रबंधन के अलावा यूपीए सरकार के दौरान उठाए जा सकने वाले सकारात्मक कदमों के असर के बारे में भी बात की जाएगी. श्वेत पत्र में खास तौर पर यूपीए शासनकाल में आर्थिक अनियमितताओं का असर देश की अर्थव्यवस्था पर किस तरह से पड़ा, इस पर भी चर्चा की जाएगी. माना जा रहा है कि सरकार और विपक्षी सांसदों के बीच इस मुद्दे पर जमकर बवाल हो सकता है.
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क्या होता है श्वेत पत्र और कैसे लाया जाता है इसे संसद में
श्वेत पत्र की शुरुआत 99 साल पहले सन् 1922 में ब्रिटेन में हुई थी. यह किसी विषय के बारे में ज्ञात जानकारी या एक सर्वेक्षण/अध्ययन के परिणाम का सारांश होता है. एक श्वेत पत्र किसी भी विषय के बारे में हो सकता है जिसमें उस विषय से संबंधित सभी पहलुओं का तथ्यवार वर्णन किया जाता है. संसद में ही नही कंपनियों की ओर से भी श्वेत पत्र लाए जा सकते हैं. पूर्ववर्ती सरकारें भी कई बार श्वेत पत्र संसद में लेकर आई हैं.
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