कितना साफ हुआ भारत? जानिए स्वच्छ भारत अभियान के 10 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने क्या कहा

| Updated: Oct 03, 2024, 02:11 AM IST

Swachh Bharat Abhiyan: प्रधानमंत्री ने कहा कि 'स्वच्छ भारत मिशन' की यह यात्रा सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक मानसिक परिवर्तन है. अगले दशक में इस मिशन का लक्ष्य न केवल स्वच्छता को और मजबूत करना है, बल्कि इसे एक विकसित भारत की ओर बढ़ते कदम के रूप में स्थापित करना है

Swachh Bharat Abhiyan:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले के प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में स्वच्छता को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने और देशवासियों से सरकार का साथ देने की अपील की थी. इसके परिणामस्वरूप 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ हुआ था.जिसमें सरकार के सभी विभागों ने मिलकर स्वच्छता को सभी नागरिकों का समूहिक जीम्मेदारी  बनाने का प्रयास किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की शुरुआत की थी. इस अभियान का मकसद गांधीजी के स्वच्छता के आदर्शों को साकार करना था. आज, 2 अक्टूबर 2024 को, यह मिशन अपने 10 साल पूरे कर चुका है और इस दौरान देशभर में स्वच्छता को लेकर एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा हुआ है.

दुनिया का सबसे बड़ा जनआंदोलन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की 10वीं वर्षगांठ पर इसे  सदी का सबसे बड़ा और सफल जन आंदोलन बताया. उन्होंने कहा, 'विकसित भारत की यात्रा में हर प्रयास 'स्वच्छता से संपन्नता' के मंत्र को मजबूत करेगा.' नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में पीएम ने 9,600 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत वाली कई स्वच्छता परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. उन्होंने ‘मिशन अमृत’ के तहत वॉटर और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, गोबरधन प्लांट और नमामि गंगे परियोजनाओं को भी एक नई ऊंचाई देने की बात कही.

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भारत की सोच में बदलाव

स्वच्छता अभियान ने देश की सोच और दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव लाया है. पहले, सफाई को केवल सफाईकर्मियों का काम माना जाता था, लेकिन अब यह हर नागरिक का कर्तव्य बन गया है. पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत में सफाई के कार्य को एक नई प्रतिष्ठा मिली है और यह अभियान स्वच्छता को सिर्फ व्यक्तिगत जरूरत से हटाकर सार्वजनिक जिम्मेदारी बना रहा है.

कांग्रेस पर निशाना 

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने स्वतंत्रता के बाद बापू के नाम का तो सहारा लिया, लेकिन स्वच्छता को लेकर उनके सिद्धांतों पर कभी अमल नहीं किया.

स्वच्छ भारत मिशन की उपलब्धियां

बीते 10 वर्षों में स्वच्छता के मोर्चे पर कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं:

  • खुले में शौच से मुक्ति: 12 करोड़ से अधिक घरों में शौचालयों का निर्माण हुआ है, जिससे खुले में शौच की समस्या लगभग समाप्त हो गई है.
  • स्वच्छ पेयजल आपूर्ति: हर घर नल जल योजना के तहत 16 फीसदी  कवरेज से बढ़कर 78 प्रतिशत घरों में पाइप से स्वच्छ पानी की आपूर्ति हो रही है.
  • स्वच्छ ऊर्जा: उज्ज्वला योजना के तहत 11 करोड़ से अधिक परिवारों को रसोई गैस का कनेक्शन मिला है, जिससे महिलाओं को धुएं के प्रदूषण से मुक्ति मिली है.

स्वच्छता अभियान का स्वास्थ्य पर प्रभाव

स्वच्छ भारत अभियान का सीधा असर देश के स्वास्थ्य पर भी पड़ा है. पिछले महीने ही  कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, शौचालय क्रांति के कारण शिशु मृत्यु दर में कमी आई है. 2015 और 2020 के बीच शिशु मृत्यु दर में 10 प्रतिशत की कमी हुई और हर साल करीब 60-70 हजार शिशुओं की मृत्यु को रोका गया है. इसके अलावा, लड़कियों के लिए बने विशेष शौचालयों की वजह से स्कूल छोड़ने की दर में भी कमी दर्ज की गई है.

स्वच्छता से सामाजिक परिवर्तन

गांधीजी के स्वच्छता के विचारों को मोदी सरकार ने मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है. 1901 में कोलकाता कांग्रेस अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने स्वयं झाड़ू उठाकर सफाई की थी और तब से ही स्वच्छता को उन्होंने स्वतंत्रता से भी अधिक महत्वपूर्ण माना था. प्रधानमंत्री मोदी ने इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए लाल किले से ‘स्वच्छता क्रांति’ की बात की और आज यह अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बन चुका है.

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नए दशक की नई उम्मीदें

प्रधानमंत्री ने कहा कि 'स्वच्छ भारत मिशन' की यह यात्रा सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक मानसिक परिवर्तन है. अगले दशक में इस मिशन का लक्ष्य न केवल स्वच्छता को और मजबूत करना है, बल्कि इसे एक विकसित भारत की ओर बढ़ते कदम के रूप में स्थापित करना है. जिस भारत का सपना गांधीजी ने देखा था, उसे साकार करने के लिए यह प्रयास निरंतर जारी रहेगा.

अभी भी बाकी है लंबा सफर

हालांकि, भारत में स्वच्छता को लेकर अभी भी कई तरह की चुनौतियां बनी हुई हैं. लेकिन, इस अभियान के माध्यम से देश में सार्वजनिक स्वच्छता को लेकर जागरूकता जरूर बढ़ी है. अब ये देखा जाता है कि नई पीढ़ी के बच्चे भी अब बड़ों को सार्वजनिक जगहों पर गंदगी फैलाने पर टोकने लगे हैं, जो कहीं न कहीं एक बदलाव का संकेत है.

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