गणेश पूजा के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के घर जाना विवादों का केंद्र बन गया है. जहां कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस मुलाकात को लेकर प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश पर निशाना साध रहे हैं. वहीं, बीजेपी ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया है.
संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मोदी की मुख्य न्यायाधीश के घर गणेश पूजा में भागीदारी को लेकर सवाल उठाए हैं. विपक्षी नेताओं का कहना है कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर संदेह पैदा होता है. राजद नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि ऐसे कदम न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच असहज संदेश भेजते हैं. शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने भी पीएम मोदी की इस यात्रा पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, यह त्योहार देशभर में मनाया जाता है लेकिन प्रधानमंत्री मुख्य न्यायाधीश के घर गए इससे संदेह उत्पन्न होता है.
बीजेपी का पलटवार इफ्तार पार्टियों की दिलाई याद
बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए एक पुरानी घटना को याद दिलाया है. बीजेपी ने बताया कि जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें उस समय के चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन भी शामिल हुए थे. बीजेपी प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने दोनों की मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए कहा, गणेश पूजा में भाग लेना कोई अपराध नहीं है. कांग्रेस का इकोसिस्टम बिना वजह इस मुद्दे को तूल दे रहा है.
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पीएम मोदी की सोशल मीडिया पोस्ट से गरमाया मामला
विवाद तब शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर गणेश पूजा में शामिल होने की तस्वीर साझा की. पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, मैंने CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जी के घर गणेश पूजा में हिस्सा लिया. भगवान श्री गणेश हम सभी को सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य प्रदान करें. इसके बाद इस मुद्दे पर सियासी माहौल गरमा गया. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच की मर्यादा का उल्लंघन बताया, जबकि बीजेपी इसे धार्मिक आयोजन के रूप में देख रही है.
वकीलों और सामाजिक संगठनों की भी आपत्ति
देश के कई वरिष्ठ वकील और सामाजिक संगठनों ने भी प्रधानमंत्री के इस कदम पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री और चीफ जस्टिस के बीच इस तरह की मुलाकात से संविधान के सिद्धांतों और शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन हो सकता है. सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस जारी है, जहां दोनों पक्षों के समर्थक अपनी-अपनी राय रख रहे हैं.
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