डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तीन साल पूरे होने के अवसर पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम के उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने छोटे बच्चों से मुलाकात की. बच्चों से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री का बेहद अलग अंदाज दिखा. वह छोटे बच्चों से पूछ रहे थे कि क्या आप मोदी जी को जानते हो? इस बातचीत का वीडियो पीएम मोदी ने खुद अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है. यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.
वीडियो में देखा जा सकता है कि पीएम मोदी जैसे ही कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते हैं. छोटे बच्चे तुरंत भागकर उनके पास आ जाते हैं और नमस्ते मोदी जी कहते हैं. इस दौरान कुछ बच्चे उनके लिपट जाते हैं. इसके बाद प्रधानमंत्री बच्चों से पूछते हैं कि क्या आप लोग मोदी जी को जानते हैं? इसके जवाब में एक बच्चा कहता हैं, हां, हमने आपको टीवी में देखा था.' पीएम मोदी फिर पूछते हैं, मैं टीवी में क्या करता था? इस पर एक बच्चा बोलता है कि मैंने आपका फोटो देखा था.'
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भाषा का राजनीतिकरण करने की कोशिश
इसके साथ ही प्रधानमंत्री बच्चों से बातचीत करने में मग्न हो जाते हैं और उन्हें पेंटिंग करते हुए देखते हैं. बच्चों से मिलने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के जरिए देश की हर भाषा को उचित सम्मान और श्रेय दिया जायेगा और जो लोग अपने स्वार्थ के लिए भाषा का राजनीतिकरण करने की कोशिश करेंगे, उन्हें अपनी दुकानें बंद करनी होंगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों के साथ सबसे बड़ा अन्याय उन्हें उनकी क्षमताओं के बजाय उनकी भाषा के आधार पर आंकना है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश की हर भाषा को उचित सम्मान और श्रेय देगी. जो लोग अपने स्वार्थ के लिए भाषा का राजनीतिकरण करने की कोशिश करते हैं, उन्हें अब अपनी दुकानें बंद करनी होंगी.’ उन्होंने कहा, ‘मातृभाषा में शिक्षा भारत में छात्रों के लिए न्याय के एक नए रूप की शुरुआत कर रही है। यह सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है.’
दुनिया में भाषाओं की अधिक संख्या और उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कई विकसित देशों को उनकी स्थानीय भाषाओं के कारण बढ़त मिली है. उन्होंने यूरोप का उदाहरण देते हुए कहा कि ज्यादातर देश अपनी मूल भाषा का इस्तेमाल करते हैं. मोदी ने इस बात पर अफसोस जताया कि भले ही भारत में कई स्थापित भाषाएं हैं, लेकिन इन्हें पिछड़ेपन की निशानी के तौर पर पेश किया जाता है और जो लोग अंग्रेजी नहीं बोल सकते, उनकी उपेक्षा की जाती है और उनकी प्रतिभा को मान्यता नहीं दी जाती है. उन्होंने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप, ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित रहते हैं. एनईपी को लाये जाने के साथ देश ने अब इस धारणा को त्यागना शुरू कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र में भी मैं भारतीय भाषा में बोलता हूं.’
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