डीएनए हिंदी: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को केंद्र सरकार ने पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. अब इस संगठन के खिलाफ अलग-अलग तरह से कार्रवाई की जा रही है. पीएफआई (PFI) से जुड़ी सभी संस्थाओं को प्रतिबंधित करने के साथ ही उनके सोशल मीडिया हैंडल भी हटाए जा रहे हैं. पीएफआई के खिलाफ जारी जांच में सामने आया है कि तमाम गतिविधियों के लिए यह संगठन हज यात्रा, एनआरआई खातों, रियल एस्टेट, विदेश में शराब की दुकानों और कई अन्य तरीकों से पैसे जुटाए थे. शुरुआती जांच में ऐसे सैकड़ों बैंक खातों का पता चला है जिनका इस्तेमाल करके पीएफआई ने फंड जुटाए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, जांच एजेंसियों को अब पता चला है कि विदेश में पीएफआई के सदस्य हज यात्रियों को सहायता के नाम पर, अपनी नकली फर्मों की सदस्यता, रियल एस्टेट सौदों, पब-बार और आतंकवादी संगठनों को पुरानी कारों को बेचने जैसे तमाम तरीकों से पैसे जुटाते थे. बाद में यह पैसा एनआरआई खातों में भेजा जाता था. इसके बाद, यही पैसा भारत में मौजूद पीएफआई सदस्यों के खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था.
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इन तरीकों से पैसे जुटाता था पीएफआई
हज यात्रा के बहाने: खाड़ी देशों में सक्रिय पीएफआई सदस्यों ने हज यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को पैसे के बदले मदद की. इस पैसे को भी घुमाकर भारत भेजा जाता था. पीएफआई ने भारत में पैसा भेजने के लिए हर संभव रास्ते अपनाए- चाहे वह हवाला हो या सोने का कारोबार.
एनआरआई खाते: सूत्रों के मुताबिक, विदेश में पीएफआई सदस्यों ने संयुक्त अरब अमीरात और अन्य खाड़ी देशों के एनआरआई खातों में पैसा भेजा. एनआरआई खातों में फंड मिलने के बाद, उन लोगों ने इसे पीएफआई नेताओं के फर्जी बैंक खातों में ट्रासफर कर दिया. मनी ट्रांसफर के लिए यह तरीका विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) का सीधा उल्लंघन था.
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रियल एस्टेट: पीएफआई का सदस्य और केरल के चावाकाडु जिले का निवासी सैफू अबू धाबी में रहता है जहां वह रियल एस्टेट का कारोबार करता है. यह पता चला है कि उसने भारत में पीएफआई नेताओं के खातों में पैसे भेजे थे. रेंट-ए-कार सेवा के माध्यम से कमाए पैस को भी भारत में ट्रांसफर कर दिया गया.
अबू धाबी में बार: अबू धाबी में नाइट क्लब और बार हैं जहां कानूनी रूप से शराब उपलब्ध है. इनमें से कुछ आउटलेट्स पीएफआई सदस्यों द्वारा चलाए जा रहे थे, जिन्होंने इस व्यवसाय से बड़ी मात्रा में कमाई की, जिसे उन्होंने भारत में अपने पीएफआई साथियों को भेजे.
KISF सदस्यता: पीएफआई कुवैत में 'कुवैत इंडिया सोशल फोरम' (केआईएसफ) के नाम से सक्रिय था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सूत्रों ने कहा कि केआईएसएफ भारत में पीएफआई की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए अपने सदस्यों से सालाना सदस्यता शुल्क जुटाता था.
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डमी संगठनों की भूमिका: पीएफआई के कई डमी संगठन हैं जो खाड़ी देशों में सक्रिय हैं. राष्ट्रीय विकास मोर्चा (एनडीएफ) एक ऐसा संगठन है जो ओमान में सक्रिय है. एजेंसियों को पता चला है कि एनडीएफ ने भारत में पीएफआई सदस्यों को हवाला चैनलों के जरिए करीब 44 लाख रुपये भेजे. पीएफआई के एक सदस्य की पहचान अशफाख चैकीनाकथ पुयिल के रूप में हुई है, जिसने सभी खातों का विवरण रखा. पैसा केरल में रिहैब इंडिया फाउंडेशन को भेजा गया था, जो पीएफआई का एक और डमी संगठन है.
ISIS को बेचीं पुरानी कारें: एजेंसियों ने दावा किया है कि सीरिया में, मुहम्मद फहीमी के रूप में पहचाने जाने वाले एक पीएफआई सदस्य ने आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी समूहों को पुरानी कारों को बेचकर बड़ी मात्रा में पैसा कमाया. यह पैसा बाद में हवाला के जरिए भारत भेजा गया.
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कतर कनेक्शन: पीएफआई में कई मलयाली सदस्य हैं जो कतर में रहते हैं. वे एक कल्चरल फोरम (सीएफ) चलाते हैं, जो पीएफआई का एक डमी संगठन भी है. कतर में इन सदस्यों द्वारा मुसलमानों के लिए सहायता के नाम पर एकत्र किया गया धन भारत में पीएफआई और एसडीपीआई नेताओं को भेजा गया था.
विदेश में रहने वाले पीएफआई सदस्यों ने भी ई-वॉलेट का इस्तेमाल करके भारत में पैसा ट्रांसफर किया. उन्हें कानूनी सहायता और पब्लिक डोनेशन के रूप में दिखाया गया. पीएफआई को देश और विदेश से संदिग्ध माध्यमों से धन प्राप्त हो रहा था. पीएफआई और उसके सहयोगियों ने बड़ी संख्या में बैंक खातों को बनाए रखा और भारत और विदेश में स्थित अपने शुभचिंतकों और वित्तदाताओं के माध्यम से पैसा प्राप्त किया.
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