अब इतने रुपये रोज कमाने वाले नहीं होंगे गरीब, बदल गई परिभाषा 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 06, 2022, 08:56 AM IST

भारत में बीपीएल की स्थिति में साल 2011 की तुलना में 2019 में 12.3% की कमी आई है. इसकी वजह ग्रामीण गरीबी में गिरावट है.

डीएनए हिंदीः अगर कोई व्यक्ति रोजाना 167 रुपये (2.15 डॉलर) से ज्यादा कमाता है तो उसे अत्यंत गरीब नहीं माना जाएगा. वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने गरीबी की परिभाषा में बदलाव किया है. इससे पहले यह आंकड़ा 147 रुपये था. मौजूदा समय में साल 2015 के आंकड़ों के आधार पर आकलन होता है, जबकि इस बीच कई चीजें बदल गई हैं. वर्ल्ड बैंक यह नया मानक इस साल के अंत तक लागू करेगा. अब वर्ल्ड बैंक ने साल 2017 की कीमतों का उपयोग करते हुए नई वैश्विक गरीबी रेखा 2.15 डॉलर पर निर्धारित की गई है. 
 
70 करोड़ लोग अत्यंत गरीब की श्रेणी 
विश्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 2017 में वैश्विक स्तर पर सिर्फ 70 करोड़ लोग इस स्थिति में थे, लेकिन मौजूदा समय में यह संख्या बढ़ने की आशंका है. विश्व बैंक ने  2.15 डॉलर रोजाना कमाने वाले को इस श्रेणी से बाहर रखा है. अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा में वृद्धि दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में 2011 और 2017 के बीच कम आय वाले देशों में बुनियादी भोजन, कपड़े और आवास की जरूरतों में वृद्धि को दर्शाती है.   

ये भी पढ़ेंः Sharad Pawar बढ़ाएंगे उद्धव ठाकरे की टेंशन? धनंजय मुंडे बोले- अगला सीएम NCP का होगा

भारत में कम हो रही गरीबी
भारत में गरीबी का आंकड़ा तेजी से घटने लगा है. आंकड़ों पर गौर करें तो बीपीएल की स्थिति में साल 2011 की तुलना में 2019 में 12.3% की कमी आई है. इसकी वजह ग्रामीण गरीबी में गिरावट है यानी वहां आमदनी बढ़ी है. ग्रामीण क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से तेज़ से गिरावट के साथ वहां अत्यंत गरीबों की संख्या वर्ष 2019 में आधी घटकर 10.2 प्रतिशत हो गई. बीपीएल के लिए विश्व बैंक के 1.90 डॉलर रोजाना कमाई को आधार बनाया गया है.  

ये भी पढ़ेंः Uttarakhand Bus Accident: उत्तरकाशी हादसे में अब तक 25 की मौत, सीएम शिवराज उत्तराखंड पहुंचे

 देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.