Chandrayaan - 3: प्रज्ञान रोवर ने बदला रास्ता, ISRO ने बताया क्या होगा असर

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 28, 2023, 07:51 PM IST

Chandrayaan-3 Update

Chandrayaan-3 Update: 23 अगस्त को भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान 3’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा. इसके बाद से इसरो इसको लेकर लगातार अपडेट दे रहा है. आइए आपको बताते हैं कि इसरो ने अब क्या बताया है...

डीएनए हिंदी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 मिशन को लेकर एक अपडेट दी है. इसरो ने बताया है कि प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा पर अपना रास्ता बदल दिया है. इसरो ने इसके पीछे का कारण भी बताया है. यह घटना 27 अगस्त की है, जिसके बारे में इसरो ने सोमवार को बताया. इसरो ने इससे जुड़ी दो तस्वीरें भी जारी की हैं. आइए आपको बताते हैं कि प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा पर अपना रास्ता क्यों बदल दिया है.

 इसरो ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर चल रहे इसके अध्ययन के दौरान 'प्रज्ञान' रोवर का सामना चार मीटर व्यास गहरे गड्ढे से हुआ.  इसके बाद रोवर को निर्देश भेजे गए. जिसके बाद रोवर ने निर्देश को समझते हुए अपना रास्ता बदला, वह नई दिशा में आगे बढ़ गया. इसरो द्वारा शेयर की गई एक तस्वीर में दिख रहा है कि रोवर प्रज्ञान की राह में एक बड़ा गड्ढा मौजूद है.  दूसरी तस्वीर में नेविगेशन कैमरा बता रहा है कि कैसे रोवर ने बाद में रास्ता बदला और अब वह नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है.

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इसरो ने दी ऐसी जानकारी 

इसरो ने बताया कि प्रज्ञान पूरी तरह सुरक्षित है और अब एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है. चंद्रमा की सतह पर उतरने के कुछ घंटों बाद 26 किलोग्राम वजनी छह पहियों वाला रोवर लैंडर से बाहर निकला था , जिसके बाद से वह लगातार आगे बढ़ रहा है. वहां से वह इसरो को तस्वीरें भी भेज रहा है. जानकारी के लिए  बता दें कि चंद्रमा पर बड़े गड्ढों की संख्या बहुत अधिक है. इन क्षेत्रों में तापमान माइनस 245 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है.

 

चंद्रमा पर जगह-जगह तापमान में है काफी अंतर

इससे पहले 27 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे पेलोड ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ा पहला ऑब्जर्वेशन भेजा था. इसके अनुसार चंद्रमा पर अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है. चंद्रमा के साउथ पोल की सतह पर तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस है. वहीं, 80mm की गहराई में माइनस 10°C टेम्परेचर रिकॉर्ड किया गया. चंद्रमा की सतह एक ऊष्मारोधी दीवार जैसी है, जो सूर्य के भीषण ताप के असर को सतह के भीतर पहुंचने से रोकने की क्षमता रखती है. 

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