लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि अगर इस चुनाव में कांग्रेस को अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते हैं तो राहुल गांधी को अपने कदम पीछे खींच लेने चाहिए. पिछले 10 साल से वह लगे हुए लेकिन सफलता नहीं मिल रही है. राहुल गांधी को एक ब्रेक ले लेना चाहिए. इस दौरान उन्होंने बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन के भी दावे किए.
प्रशांत किशोर ने कहा, 'राहुल गांधी सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए अपनी पार्टी चला रहे हैं और पिछले 10 साल में अपेक्षित परिणाम नहीं देने के बावजूद वह न तो रास्ते से हट रहे हैं और न ही किसी और को आगे आने दे रहे हैं. मेरे अनुसार यह भी अलोकतांत्रिक है. उन्होंने विपक्षी पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए एक योजना तैयार की थी लेकिन उनकी रणनीति काम नहीं आई. इसलिए उनको ब्रेक ले लेना चाहिए.
'एक ब्रेक लेने में बुराई क्या है'
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी के राजनीति से दूर रहने और 1991 में पीवी नरसिंह राव के कार्यभार संभालने को याद करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, ‘जब आप एक ही काम पिछले 10 साल से कर रहे हैं और सफलता नहीं मिल रही है तो एक ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है. आपको चाहिए कि 5 साल तक यह जिम्मेदारी किसी और को सौंप दें. आपकी मां ने ऐसा किया है.’ उन्होंने कहा कि दुनियाभर में अच्छे नेताओं की एक प्रमुख विशेषता यह होती है कि वे जानते हैं कि उनमें क्या कमी है और वे सक्रिय रूप से उन कमियों को दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं.
किशोर ने कहा, ‘लेकिन राहुल गांधी को ऐसा लगता है कि वह सब कुछ जानते हैं. अगर ऐसा लगता है कि आपको मदद की आवश्यकता नहीं है तो कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता. उन्हें लगता है कि वह सही हैं और वह मानते हैं कि उन्हें ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो उनकी सोच को मूर्त रूप दे सके. यह संभव नहीं है. साल 2019 के चुनाव में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने सबंधी राहुल गांधी के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वायनाड निर्वाचन क्षेत्र के सांसद ने तब लिखा था कि वह पीछे हट जाएंगे और किसी और को दायित्व सौंपेंगे.
'कांग्रेस में स्थित स्थिति वास्तव में विपरीत'
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कई नेता निजी तौर पर स्वीकार करेंगे कि वे पार्टी में कोई भी निर्णय नहीं ले सकते. यहां तक कि गठबंधन सहयोगियों के साथ एक भी सीट या सीट साझा करने के बारे में भी वे तब तक कोई फैसला नहीं ले सकते, जब तक उन्हें एक्सवाईजेड से मंजूरी नहीं मिल जाती. प्रशांत ने कहा कि कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग हालांकि निजी तौर पर यह भी कहता है कि स्थिति वास्तव में विपरीत है और राहुल गांधी वह फैसला नहीं लेते, जो वे चाहते हैं कि राहुल गांधी लें.
प्रशांत किशोर ने कहा कि कांग्रेस और उसके समर्थक किसी भी व्यक्ति से बड़े हैं और गांधी को इस बात को लेकर अड़े नहीं रहना चाहिए कि बार-बार अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के बावजूद वही पार्टी के लिए उपयोगी साबित होंगे. उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में कांग्रेस की सीटों की संख्या 206 से घटकर 44 हो गई थी और उस वक्त वह सत्ता में थी और बीजेपी का विभिन्न संस्थानों पर बहुत कम प्रभाव था. (इनपुट- भाषा)
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