President Election 2022: विपक्षी एकता में फूट के बीच AAP का बड़ा ऐलान, राष्ट्रपति चुनाव में इस प्रत्याशी का करेगी समर्थन

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 16, 2022, 03:47 PM IST

President Election 2022 को लेकर विपक्ष में फूट देखने को मिली है. इस बीच अब आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपनी रणनीति का ऐलान किया है.

डीएनए हिंदी: राष्ट्रपति चुनाव 2022 (President Election 2022) के लिए 18 जुलाई को मतदान होना है. इससे पहले देश के सभी राजनीतिक दल अपने रणनीति बनाने में लगे हैं. इस दौरान कुछ दलों के फैसले से विपक्षी एकता को करारा झटका लगा है. वहीं आज चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी (Aam Adami Party) ने भी अपनी रणनीति एक बैठक के बाद स्पष्ट कर दी है. संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि वे विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) का समर्थन करेगे.

दरअसल, आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर राष्ट्रपति चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी के पीएसी के सभी 11 सदस्य  एक मीटिंग में शामिल हुए. इस बैठक में सीएम  के अलावा डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, पार्टी सांसद संजय सिंह, मंत्री गोपाल राय, आतिशी, एनडी गुप्ता, राघव चड्ढा, इमरान हुसैन और राखी बिड़लान, दुर्गेश पाठक, पंकज गुप्ता समेत सभी 11 पीएसी मेंबर मौजूद  थे और इस दौरान यह तय किया गया है कि राष्ट्रपति चुनावों में द्रौपदी मुर्मू के सामने यशवंत सिन्हा का समर्थन किया है.

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बदल चुके हैं सियासी समीकरण

आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनावों को लेकर बीजेपी (BJP) और एनडीए की उम्मीदवार आदिवासी महिला और झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) है. वहीं विपक्षी दलों ने अपने संयुक्त उम्मीदवार के तौर टीएमसी (TMC) नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है.  खास बात यह है कि मुर्मू के जीतने की संभावनाएं अधिक मानी जा रही हैं क्योंकि कई विपक्षी दलों ने भी उनका ही समर्थन कर दिया है.

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विपक्षी एकता को लगा झटका

दरअसल राष्ट्रपति चुनावों में इस बार कई विपक्षी दलों ने भी द्रौपदी मुर्मू का ही समर्थन कर दिया है जिससे विपक्षी एकता को करारा झटका लगा है.  बीजेडी से लेकर वाइएसआरसीपी, अकाली दल, बसपा, शिवसेना, झामुमो, जैसे दलों ने  विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बजाए द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया है.

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बदले हुए इन राजनीतिक समीकरणों के बीच यह माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव में भी विपक्ष में बिखराव देखने को मिल सकता है जबकि इसके बाद झारखंड और राजस्थान में   राजनीतिक अस्थिरता भी देखने को मिल सकती है.

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