डीएनए हिंदी: टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में दिल्ली पहुंच रही हैं. हालांकि, वाम दलों और शिवसेना ने उन्हें पहले ही झटका दे दिया है. आगामी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर बुधवार (15 जनवरी) को दिल्ली में होने वाली बैठक में सीताराम येचुरी और उद्धव ठाकरे ने झटका दे दिया है.
विपक्षी एकता की ममता को कोशिशों को झटका
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी राष्ट्रपति चुनाव के बहाने विपक्षी एकता का श्रेय लेने की कोशिश में जुटी थीं. उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत विपक्ष के बड़े नेताओं और मुख्यमंत्रियों को दिल्ली में 15 जून को मिलने का न्योता भेजा था.
उनका यह अरमान पूरा होता नहीं दिख रहा है और सीपीआई (एम) के साथ शिवसेना ने भी उन्हें झटका दे दिया है. 15 जून को होने वाली बैठक में उद्धव ठाकरे हिस्सा नहीं लेंगे. सीताराम येचुरी ने तो ममता के पत्र को विपक्षी एकता के लिए नुकसान पहुंचाने वाला करार दिया है.
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विपक्ष के उम्मीदवार को लेकर असमंजस की स्थिति
कांग्रेस की ओर से विपक्षी दलों को एकजुट करने का जिम्मा सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपा है. हालांकि, ममता ने चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही अपनी सक्रियता बढ़ा दी है.
अब देखना है कि विपक्षी दल किसी एक नाम पर एकमत होते हैं या राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर भी विपक्ष की आपसी तकरार खुलकर सामने आती है. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष की फूट खुलकर सामने आने से बीजेपी को ही फायदा होने वाला है.
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