डीएनए हिंदी: 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) हैं और इससे पहले पक्ष से लेकर विपक्षी दल सभी अपना धड़ा मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं सपा (SP) सुप्रीमो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मुश्किलें उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने ही बढ़ा दी हैं. उन्होंने विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) का समर्थन करने को लेकर अखिलेश यादव को निशाने पर ले लिया है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के बाद से अखिलेश के रुख के चलते शिवपाल और अखिलेश के बीच फिर से तल्खियां बढ़ गई थीं और अब दोनों राष्ट्रपति चुनावों को लेकर भी आमने सामने आ गए हैं. अखिलेश को पत्र लिखकर शिवपाल ने सवाल उठाया है कि जिन यशवंत सिन्हा ने एक वक्त नेता जी (मुलायम सिंह यादव) को ISI एजेंट बताया था अखिलेश उन्हें समर्थन कैसे दे रहे हैं.
अखिलेश यादव को लिखे अपने पत्र में शिवपाल सिंह यादव ने कहा, "यह नियति की अजीब विडम्बना है कि समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव में उस व्यक्ति का समर्थन किया है जिसने हम सभी के अभिभावक और प्रेरणा व ऊर्जा के स्रोत आदरणीय नेताजी (मुलायम सिंह यादव) को उनके रक्षा मंत्रित्व काल में पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था ISI का एजेंट बताया था. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि समाजवादी पार्टी को राष्ट्रपति प्रत्याशी के तौर पर एक अदद समाजवादी विरासत वाला नाम न मिला."
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गौरतलब है कि इस मामले में बीजेपी के नेताओं और यूपी के दोनों डिप्टी सीएम यानी केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) और बृजेश पाठक (Brajesh Pathak) ने भी यही सवाल उठाकर अखिलेश को आड़े हाथों लिया है. इसके जवाब सपा ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से डिप्टी सीएम के बयानों पर तो उन्हें प्रचारजीवी करार दिया है लेकिन शिवपाल के सवालों से पार्टी बचती दिखी है जो कि पार्टी की असहजता को दर्शाता है.
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आपको बता दें कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव 2022 को लेकर सोमवार को वोटिंग होनी है और शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने पहले ही ऐलान कर रखा है कि वो इस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का समर्थन करेंगे. इसके अलावा यूपी चुनाव में सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में चुनाव लड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने भी मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया था जो कि यूपी की सियासत के लिहाज से सपा और अखिलेश यादव के लिए एक झटका है.
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