President Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं होता है EVM का इस्तेमाल? जानिए इसके पीछे की अहम वजह

कृष्णा बाजपेई | Updated:Jun 12, 2022, 06:44 PM IST

अन्य चुनावों की तरह President Election में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है जिसकी कुछ खास वजहें हैं.

डीएनए हिंदी: देश में लोकसभा से लेकर महानगरपालिका तक के चुनावों में अब ईवीएम का प्रयोग होता है लेकिन विधान परिषद राज्यसभा, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति चुनावों (President Election 2022) में  ईवीएम (EVM) का इस्तेमाल नहीं होता है क्या आपके मन में सवाल आया है कि ऐसा क्यों होता है. अगर हां तो आज यह खबर आपके सवाल का जवाब दे देगी. 

कैसे काम करती है ईवीएम

दरअसल, ईवीएम एक ऐसी तकनीक पर आधारित हैं जहां वे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसे प्रत्यक्ष चुनावों में मतों के वाहक के रूप में काम करती हैं. मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने वाले बटन को दबाते हैं और जो सबसे अधिक वोट प्राप्त करता है उसे निर्वाचित घोषित किया जाता है और वो ही जनता का नेता घोषित हो जाता है लेकिन राष्ट्रपति समेत राज्यसभा के चुनावों में ऐसा नहीं होता है.

अलग है राष्ट्रपति का चुनाव

राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से, प्रत्येक निर्वाचक उतनी ही वरीयताएं अंकित कर सकता है, जितने उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. उम्मीदवारों के लिए ये वरीयताएं निर्वाचक द्वारा मत पत्र के कॉलम 2 में दिए गए स्थान पर उम्मीदवारों के नाम के सामने वरीयता क्रम में, अंक 1,2,3, 4, 5 और इसी तरह रखकर चिह्नित की जाती हैं.

इन चुनावों के लिए नहीं बनीं ईवीएम

वहीं इस मामले में अधिकारियों ने बताया कि ईवीएम को मतदान की इस प्रणाली को दर्ज करने के लिए नहीं बनाया गया ई.वीएम मतों की वाहक हैं तथा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत मशीन को वरीयता के आधार पर वोटों की गणना करनी होगी और इसके लिए पूरी तरह से अलग तकनीक की आवश्यकता होगी. दूसरे शब्दों में एक अलग प्रकार की ईवीएम की आवश्यकता होगी.

निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार पहली बार 1977 में निर्वाचन आयोग में विचार के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल), हैदराबाद को इसे डिजाइन और विकसित करने का काम सौंपा गया था. ईवीएम का प्रोटोटाइप 1979 में विकसित किया गया था, जिसे 6 अगस्त 1980 को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदर्शित किया गया है.

कब हुआ था ईवीएम का इस्तेमाल

आपको बता दें कि इसकी शुरुआत पर आम सहमति 1998 में बनी और इनका उपयोग मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के 25 विधानसभा क्षेत्रों में किया गया था. मई 2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में, सभी विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. तब से प्रत्येक राज्य विधानसभा चुनाव के लिए आयोग ने ईवीएम का इस्तेमाल किया है. वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों में देश के सभी 543 संसदीय क्षेत्रों में दस लाख से अधिक ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था. 

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जनता से सीधे सरोकार रखने वाले चुनावों में ईवीएम का ही प्रयोग होता है लेकिन अनुपातिक वरीयता के आधार पर होने वाले चुनावों में ईवीएम काम नहीं कर पाती है. इसलिए इसके लिए होने वाले चुनाव मैनुअली ही होते हैं. 
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