नीलाम होगी भारत में मौजूद परवेज मुशर्रफ की जमीन, बागपत में है करोड़ों की प्रोपर्टी, जानें पूरा मामला

आदित्य प्रकाश | Updated:Sep 01, 2024, 11:04 AM IST

Pervez Musharraf

बागपत में स्थित परवेज मुशर्रफ के पूर्वजों के गांव कोताना में उनकी करोड़ी की प्रोपर्टी आज भी मौजूद है. इस गांव में उनकी 13 बीघा जमीन की नीलामी होगी. इसको लेकर प्रशासन की तरफ से ऑनलाइन प्रक्रिया चालू की जा चुकी है. 5 सितंबर तक इस प्रकिया को पूरा कर लिया जाएगा.

UP News: यूपी के बागपत में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ और उनके परिवार की जमीन-जायदाद की 'शत्रु की संपत्ति' प्रक्रिया के तहत नीलामी होगी. प्राप्त सूचना के अनुसार ये निलामी यूपी के बागपत में की जाएगी. दरअसल बागपत में स्थित परवेज मुशर्रफ के पूर्वजों के गांव कोताना में उनकी करोड़ी की प्रोपर्टी आज भी मौजूद है. इसी गांव में उनकी 13 बीघा जमीन की नीलामी होगी. इसको लेकर प्रशासन की तरफ से ऑनलाइन प्रक्रिया चालू की जा चुकी है. 5 सितंबर तक इस प्रकिया को पूरा कर लिया जाएगा, साथ ही उसे प्रोपर्टी के खरीददार के नाम कर दिया जाएगा. आपको बताते चलें कि कि 5 फरवरी 2023 को परवेज मुशर्रफ का निधन हो गया था.

बंटवारे के समय पाकिस्तान चला गया था परिवार
कोताना गांव में रहने वाले लोगों के अनुसार परवेज मुशर्रफ का परिवार मूल रूप से इसी गांव का निवासी था. उनके पिता मुशर्रफुद्दीन और माता बेगम जरीन इसी गांव में रहते थे. दोनों का विवाह भी यही हुआ था. फिर साल 1943 में वो दिल्ली में जाकर बस गए. दिल्ली में ही परवेज मुशर्रफ और उनके भाई जावेद मुशर्रफ की पैदाइश हुई थी. साल 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था. उसके बाद उनकी जमीन और हवेली बागपत में ही रह गई. इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति के रूप में चिन्हित किया गया है. दरअसल, भारत -पाकिस्तान बंटवारे के समय भारत से पाकिस्तान चले गए लोगों की प्रोपर्टी को शत्रु की संपत्ति के तौर पर दर्ज किया जाता है.


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मुशर्रफ के नाम है करोड़ों की जायदाद
मुशर्रफ के परिवार की जमीनें दिल्ली और कोताना में मौजूद थीं. कोतना में परवेज मुशर्रफ और जावेद मुशर्रफ समेत परिवार दूसरे सदस्यों की करीब 13 बीघा खेतीहर जमीन अभी तक मौजूद थी. खेतीहर जमीन के अलावा वहां उनके चचेरे भाई हुमायूं के नाम से एक बड़ी हवेली मौजूद थीं. पूरे परिवार की जमीने 15 साल पहले ही शत्रु की संपत्ति के तौर पर चिन्हित की गई थी.

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