Prophet Muhammed Row: हेमंत सोरेन सरकार को हाईकोर्ट की फटकार, पूछा- अचानक कैसे आए दस हजार लोग?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 17, 2022, 06:17 PM IST

Prophet Muhammed Row को लेकर 10 जून को रांची में भयंकर हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुई थीं.

डीएनए हिंदी: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने रांची में बीते 10 जून को हुई हिंसा पर राज्य सरकार की जिम्मेदारी को लेकर सवाल खड़े किए हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने इस हिंसा पर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि जिस विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई, उसके बारे में सरकार को कोई खुफिया जानकारी थी या नहीं? 

दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट ने 10 जून की हिंसा को लेकर राज्य सरकार से सवाल पूछा है कि अचानक से 10 हजार उपद्रवी सड़क पर कैसे इकट्ठा हो गये? इस मामले के एक आरोपी नवाब चिश्ती के बारे में कोर्ट ने कहा कि उसकी फोटो मंत्री के साथ दिखी है, अगर उसके बड़े लोगों से ताल्लुक हैं, तो इसकी जांच होनी चाहिए.

हाईकोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल

हाईकोर्ट ने रांची हिंसा की जांच एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी) से कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए हैं. राज्य सरकार को कई बिंदुओं पर पूरा ब्योरा पेश करने को कहा गया है. अदालत की ओर से पूछा गया है,  कि मसलन, प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने कितनी गोलियां चलाईं और इससे कितने लोगों की मौत हुई एवं कितने लोग घायल हुए? उपद्रव के लिए इतने पत्थर कैसे जमा हो गए? 

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि पुलिस ने गोली चलाने से पहले पानी का फव्वारा, आंसू गैस, लाठीचार्ज क्यों नहीं किया? पुलिस ने हवाई फायरिंग की बात कही है लेकिन इससे कोई भी गंभीर रूप से घायल कैसे हो सकता है? एक आरोपी को गर्दन में गोली लगी है, जबकि इस हालत में पुलिस पैर में गोली चलाती है.

नूपुर शर्मा के बयान पर बवाल 

आपको बता दें कि भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान पर विरोध प्रदर्शन के लिए रांची में विगत 10 जून को हिंसा और उपद्रव की घटनाएं हुई थीं. उपद्रवियों को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग की थी. 
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हिंसा की इस घटना की एनआईए जांच की मांग को लेकर पंकज कुमार यादव नामक व्यक्ति ने याचिका दायर की है. याचिका में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव यास्मीन फारूकी समेत रांची उपायुक्त, एसएसपी, मुख्य सचिव, एनआईए, ईडी को प्रतिवादी बनाया गया है.

अदालत से झारखंड संपत्ति विनाश और क्षति निवारण विधेयक 2016 के अनुसार आरोपियों के घर को तोड़ने का आदेश देने का आग्रह किया है. इसमें रांची की घटना को प्रायोजित बताते हुए यह पता लगाने का आग्रह किया गया है कि किस संगठन ने फंडिंग कर घटना को अंजाम दिया.

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