पुणे पोर्शे एक्सीडेंट मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि नाबालिक आरोपी को तुरंत रिहा किया जाए. आपको बताते चलें कि पुणे पोर्शे कार एक्सीडेंट मामले में दो लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि गाड़ी नाबालिग आरोपी चला रहा था. इस नाबालिग व्यक्ति को ओबजर्वेशन होम में रखा गया था. कार हादसे के बाद ही नाबालिग को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने अपने अधिकार में लिया था. उसके बाद उसको डिटेन किया गया था. बोर्ड ने आरोपी को 22 मई से 21 जून के बीच अपने पास रखा था. कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि 'यह गैर कानूनी है. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 12 की तहत नाबालिग व्यक्ति को डिटेन किया नही जा सकता. इसके बाद भी नाबालिग व्यक्ति को डिटेन किया गया है. यह जेजे एक्ट की धारा 12 का उल्लंघन है.'
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'हेबियस कॉर्पस' याचिका दायर की गई थी
इस मामले में 'हेबियस कॉर्पस' याचिका दायर की गई थी. ये याचिका नाबालिग व्यक्ति की बुआ पूजा जैन की तरफ से दायर की गई थी. आज इस याचिका पर सुनवाई के दौरान को न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे के कोर्ट ने फैसला दिया है. फैसले में नाबालिग व्यक्ति को तत्काल रिहा करने का आदेश जारी किया गया है. नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के अधिकारियों ने रिमांड में बेल पर छोड़ा था. इस के बाद भी उसे ऑब्जरवेशन होम में रखा गया था. इसके खिलाफ यह 'हेबियस कॉर्पस' याचिका थी.
नाबालिग आरोपी के वकील प्रशांत पाटिल ने क्या कहा
हमने अपनी याचिका में नाबालिग आरोपी के डिटेंशन को अवैध बताया था. उसे कोर्ट ने स्वीकार किया है. कोर्ट ने तुरंत नाबालिग आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया है. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग आरोपी की बेल रद्द करके उसे रिमांड होम में डाला था. उसकी कस्टडी तीन बार जो बढ़ाई गई थी, उसे भी कोर्ट ने अवैध करार दिया है. नाबालिग आरोपी आज रिहा होने के बाद अपनी बुआ की कस्टडी में रहेगा.
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