डीएनए हिंदी: हरियाणा में हुई हिंसा के बाद राज्य प्रशासन ने नूंह में बुलडोजर एक्शन शुरू किया था. हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने कई इमारतों को अवैध बताते हुए उन पर बुलडोजर चलवाने शुरू कर दिए थे और सैकड़ों झुग्गियों-बस्तियों और इमारतों को गिरा भी दिया. अब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है. साथ ही, हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल भी पूछा है कि बिना कोई नोटिस दिए इस तरह से इमारतों को कैसे गिरा दिया गया? पिछले चार दिनों से नूंह के कई इलाकों में यह कार्रवाई चल रही थी.
फिलहाल, नूंह में कुल 37 जगहों पर 162 स्थायी और 591 अस्थायी निर्माण गिराए जा चुके हैं. नूंह के पिंगनवा, नगीना, टौरू, फिरोजपुर और पुन्हाना में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी में 'अतिक्रमण' हटाया गया है. कोर्ट ने कार्रवाई को तुरंत रोकते हुए हरियाणा सरकार को फटकार लगाई और कहा कि आज ही दोपहर 2 बजे तक अपना जवाब कोर्ट में जमा कराएं. कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई रोक दी गई है.
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'आदेश की कॉपी मिलने के बाद रखेंगे पक्ष'
हाई कोर्ट के हस्तक्षेप पर हरियाणा सरकार के मीडिया सचिव प्रवीण अत्रे ने कहा कि हाई कोर्ट ने फिलहाल कार्रवाई को रोकने के आदेश दिए हैं लेकिन अभी तक हमारे पास कोर्ट के लिखित आदेश नहीं आए हैं. हालांकि, सरकार ने फिलहाल कार्रवाई रोक दी है लेकिन लिखित आदेश आने के बाद सरकार कार्रवाई को लेकर अपना पक्ष रखेगी. आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता कैसे हरियाणा सरकार पर सवाल उठा सकते हैं जब उनकी पार्टी के नेता पर इन दंगों में शामिल होने के आरोप लग रहे हैं. जिसके खिलाफ खुद चश्मदीद गवाह मौजूद है.
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सरकार के लोगों के अलग-अलग बयानों के सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मामले पर राजनीति कर रहा है अलग-अलग बयान या किसी को क्लीन चिट देने की बात सही नहीं है. प्रवीण अत्रे के मुताबिक, पुलिस अपने तरीके से आरोपी ढूंढ रही है और उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा कर रही है लेकिन विपक्षी नेता इस मामले में सिर्फ राजनीति कर रहे हैं.
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