Amritsar News: अमृतसर के बड़ा हनुमान मंदिर में हर वर्ष नवरात्रि के पहले दिन से ही विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेला शुरू हो जाता है. इस बार भी इसे पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मेले में बच्चे से लेकर युवा तक लंगूर का रूप बनाते हैं. साथ ही 10 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सात्विक जीवन जीते हैं. इस व्रत का समापन दशहरे के दिन हो जाता है.
स्वयं प्रकट हुई थी हनुमान जी की मूर्ति
ऐसी मान्यता है कि बड़ा हनुमान मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति खुद प्रकट हुई थी. कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम ने सीता माता को वनवास भेजा था, तब उन्होंने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में शरण ली और वहीं लव और कुश का जन्म हुआ. बाद में, अश्वमेध यज्ञ के दौरान लव-कुश ने श्रीराम के घोड़े को पकड़कर इसी स्थान पर बांध दिया था. हनुमान जी जब घोड़े को छुड़ाने आए, तब लव-कुश ने उन्हें भी बंदी बना लिया और तभी से हनुमान जी की प्रतिमा इस स्थान पर प्रकट हो गई थी.
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लंगूर बने बच्चों को नियमों का करना पड़ता थी पालन
यहां की यह भी मान्यता है कि जो भक्त मन से हनुमान जी कुछ मांगता है, उसकी इच्छाएं जरूर पूरी होती हैं. मुराद पूरी होने पर लोग अपने बच्चों को लंगूर के रूप में सजाकर मंदिर में दर्शन करने आते हैं. नवरात्रि में जो बच्चे लंगूर बनते हैं, उन्हें कुछ नियमों का पालन करना होता है, जैसे प्याज और कटी हुई चीजों का सेवन न करना, नंगे पांव रहना, और ब्रह्मचर्य का पालन करना. इस मेले में श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक होता है, खासकर वे लोग जो अपनी मन्नतें पूरी होने पर धन्यवाद देने आते हैं.
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