Jharkhand के स्कूल में बच्चों पर 'इस्लामिक परंपरा' थोपने का आरोप, NCPCR ने जारी किया नोटिस

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 07, 2022, 10:42 AM IST

सांकेतिक तस्वीर

Jharkhand School Islamic Practices: झारखंड के एक स्कूल में कथित तौर पर इस्लामिक परंपराए थोपे जाने के आरोपों के बाद NCPCR ने स्थानीय प्रशासन को जांच के निर्देश दिए हैं.

डीएनए हिंदी: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने झारखंड के गढ़वा जिले के प्रशासन को नोटिस जारी किया है. एक स्कूल के बच्चों पर 'शरिया और इस्लामिक परंपराएं' थोपे जाने के आरोपों के बाद NCPCR ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि जिला प्रशासन इन आरोपों की जांच करे और इसकी सच्चाई का पता लगाए. NCPCR ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में जांच करके एक हफ्ते में रिपोर्ट सौंपी जाए.

दरअसल, झारखंड के गढ़वा जिले के एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर पर कुछ कट्टरपंथियों की ओर से दबाव बनाए जाने के आरोप लगाए गए हैं. आरोप हैं कि इन कट्टरपंथियों ने हेडमास्टर पर दबाव डालकर स्कूल में होने वाली प्रार्थना के गीत 'दया कर दान विद्या का' को बदलवाकर 'तू ही राम है तू रहीम है' करवा दिया. यह भी कहा गया है बच्चों को प्रार्थना के दौरान हाथ जोड़ने से भी रोका जा रहा है. यह मामला गढ़वा जिले की सदर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले कोरवडिया गांव में बने सरकारी मिडल स्कूल का है. घटना के सामने आने के बाद झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि उन्होंने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.

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जांच के आदेश, एक हफ्ते में मांगी रिपोर्ट
इस मामले में NCPCR के मुखिया प्रियांक कानूनगो ने कहा है, 'हमें मंगलवार को शिकायत मिली कि कुछ इस्लामिलक कट्टरपंथी नाबागिलों पर शरिया और इस्लामिक परंपरराएं थोपने की कोशिश कर रहे हैं और स्कूल में होने वाली प्रार्थना ही बदला दी है. हमने जिला प्रशासन को नोटिस जारी कर दिया है और जांच शुरू करके कानूनी कार्रवाई करने को कहा है.'

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नोटिस के मुताबिक, लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी ने NCPCR ने शिकायत की है कि स्कूल के नाबागिल बच्चों पर शरिया कानून थोपने की शिकायत की जा रही है. शिकायतकर्ता के मुताबिक, इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह से संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है जो कि हर व्यक्ति को अपनी धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से काम करने की आजादी देती है. इसके अलावा, जुवनाइल जस्टिस (केयर ऐंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) ऐक्ट 2015 का भी उल्लंघन माना गया है.

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