महाराष्ट्र में सत्ता पाने की जुगत पर सभी पार्टियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. जातिगत समीकरण बैठाने के लिए सियासी दलों ने सीट बंटवारे में मराठा, दलित, ओबीसी और आदिवासी के साथ जातीय कॉम्बिनेशन बनाने की कोशिश की है. वहीं कुछ घोषणाएं करके वोटरों को लुभाने का प्रयास किया गया है. इस बीच कांग्रेस ने भी महाराष्ट्र चुनाव से पहले तेलंगाना में ओबीसी कार्ड खेल दिया है.
तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार ने राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है. कांग्रेस नेता पोन्नम प्रभाकर ने कहा कि जाति सर्वेक्षण की तैयारी पूरी कर ली गई है. उम्मीद है कि राज्य में 4-5 नवंबर से जाति सर्वेक्षण शुरू हो जाएगा और 30 नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा. यह कवायद जाति सर्वेक्षण कराने की कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रतिबद्धता के साथ की जा रही है.
जाति सर्वेक्षण का महाराष्ट्र में होगा असर?
कांग्रेस ने चुनाव से पहले तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण कराने का वादा किया था. जिसे रेवंत रेड्डी सरकार पूरा करना चाहती है. तेंलगाना और महाराष्ट्र पड़ोसी राज्य हैं. ऐसे में इस जाति सर्वेक्षण का असर महाराष्ट्र में दिख सकता है.
महाराष्ट्र में करीब 1 करोड़ की आबादी तेलुगू बोलती है. ऐसे में कांग्रेस के इस फैसले को राहुल गांधी का बड़ा दांव माना जा रहा है. इस बीच केंद्र सरकार भी राष्ट्रीय जनगणना कराने की योजना पर काम कर रही है.
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तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण में 80,000 सरकारी कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा. उन्हें इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. पिछले दिनों तेलंगाना के कैबिनेट में इसकी मंजूरी दी गई. मराठा और OBC ध्रुवीकरण के साथ-साथ मराठवाड़ा की 15% मुस्लिम वोटर पर भी इसका असर दिख सकता है.
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