Congress नेता राहुल गांधी ने हाल ही में दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) की बस में सफर किया. इस सफर के बीच उन्होंने बस कंडक्टर, ड्राइवर और बाकी स्टाफ से मुलाकात कर उनकी दिक्कतों को नजदीक से जाना. इस बातचीत के दौरान, राहुल ने स्टाफ की सैलरी, उनकी मुश्किलें और कामकाज के हालात के बारे में खूब बातें की हैं .
सैलरी में देरी का मुद्दा
DTC के कर्मचारियों ने राहुल गांधी को बताया कि उन्हें हर दिन करीब 816 रुपये मिलते हैं, जिसमें से पीएफ और बाकी कटौतियां की जाती हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें महीने भर में कोई रेस्ट नहीं मिलता और न ही किसी त्योहार पर छुट्टी मिलती है. अगर वो किसी वजह से छुट्टी लेते हैं तो उनकी सैलरी काट ली जाती है. एक ड्राइवर ने बताया कि उनकी सैलरी किलोमीटर के हिसाब से तय होती है, और अक्सर उन्हें आठ घंटे से ज्यादा वक्त तक काम करना पड़ता है. कई स्टाफ ने बताया कि उन्हें पिछले पांच महीने से सैलरी नहीं मिली है, जिससे उनको गुजारा करना बेहद मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा, "हम घर का किराया कैसे चुकाएं और परिवार का गुजारा कैसे करें? बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है. राज्य सरकार और केंद्र एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हैं. फंड जारी न होने के बहाने बनाए जाते हैं. अब हमें दो महीने और इंतजार करने के लिए कहा गया है.
24 होमगार्ड जवान गंवा चुके हैं अपनी जान
एक होमगार्ड ने कहा, 'हमारा सवाल है कि अगर नागरिकता पक्की है तो नौकरी पक्की क्यों नहीं है? पिछले 6 महीने से सैलरी का इंतजार कर रहे हैं. इस कारण 24 होमगार्ड जवान सदमे में अपनी जान गंवा चुके हैं. हर छह महीने में हमें ट्रेनिंग दी जाती है, जबकि हम पहले से ही अनुभवी हैं. अब 10285 नई भर्तियां निकाली गई हैं और हमें जनवरी 2025 तक का समय दिया गया है. हम 50 साल से ऊपर के हो चुके हैं, अब हम कहां जाएं? कौन हमें नौकरी देगा?'
नौकरी की अस्थिरता का डर
राहुल गांधी के सवाल पर स्टाफ ने बताया कि उन्हें हर साल अपने कॉन्ट्रेक्ट के रिन्यू होने की चिंता रहती है. अगर ड्यूटी कम हो जाती है, तो उनका कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू नहीं किया जाता और उन्हें घर बैठने के लिए कह दिया जाता है. उन्होंने मांग की कि उन्हें स्थायी नौकरी और एक जैसी सैलरी दिया जाए. एक होमगार्ड ने कहा कि वे 50 साल की उम्र के हो चुके हैं और अब उनके पास नौकरी पाने का कोई और रास्ता नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर नागरिकता पक्की है तो नौकरी पक्की क्यों नहीं है?
निजीकरण से हो रहे नुकसान पर कर्मचारियों की राय
राहुल गांधी ने पूछा कि प्राइवेटाइजेशन का फायदा किसे मिल रहा है, इस पर कर्मचारियों ने जवाब दिया कि इसका फायदा केवल बिजनेसमैन को हो रहा है, जबकि आम कर्मचारियों को अपनी नौकरी की अस्थिरता का डर सताता रहता है. उन्होंने कहा कि वे लोग अपनी बात रखने में भी डरते हैं, क्योंकि उन्हें निकाल दिए जाने का खतरा रहता है.
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राहुल गांधी का एक्स पर बयान
राहुल गांधी ने अपनी बस यात्रा के अनुभव को लेकर कहा कि न तो सामाजिक सुरक्षा है, न स्थिर आय और न ही स्थायी नौकरी, और इस वजह से ड्राइवर्स और कंडक्टर्स हमेशा डर के अंधेरों में जीने पर मजबूर हैं. उन्होंने मांग की कि सरकार समान काम के लिए समान सैलरी और कर्मचारियों के साथ न्याय करे. राहुल गांधी ने सवाल किया, हम नागरिक पक्के तो नौकरी कच्ची क्यों?
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