डीएनए हिंदी: कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है. राहुल गांधी द्वारा यह हमला संसद में अक्सर बोले जाने वाले कई शब्दों को असंसदीय शब्दों की श्रेणी में रखे जाने के बाद किया गया है. राहुल गांधी ने एक ट्वीट कर बोला कहा, "गुमराह किया, धोखा दिया और चीट किया. प्रधानमंत्री जी, क्या भारत के बेरोजगार युवा आपके झूठ के लिए इन 'असंसदीय' शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं?" राहुल गांधी ने इस ट्वीट के साथ एक ग्राफ भी साझा किया. इस ग्राफ के जरिए उन्होंने दावा किया कि पिछले 5 सालों भारत में युवाओं के बीच बेरोजगारी डबल हो गई है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह भी सवाल किया कि 2 करोड़ नौकरियां कहां हैं.
असंसदीय शब्दों को लेकर विपक्ष ने खोला मोर्चा
संसद में बोले जाने वाले कुछ शब्दों को असंसदीय शब्दों की श्रेणी में रखे जाने के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. आपको बता दें कि लोकसभा सचिवालय ने "असंसदीय शब्द 2021" शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, तानाशाह, भ्रष्ट, ड्रामा, अक्षम, पिठ्ठू जैसे शब्द शामिल हैं.
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सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की शासन शैली का सही वर्णन करने वाले शब्दों को बोलने पर अब प्रतिबंध लगा दिया गयाहै. उन्होंने ट्वीट किया, "नए भारत के लिए यह नया शब्दकोश है."
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, "मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब 'असंसदीय' माने जाएंगे. अब आगे क्या विषगुरु?"
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तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने ट्वीट किया, "संसद का सत्र कुछ दिनों में आरंभ होगा। यह पाबंदी लगाने वाला आदेश है। अब हमें संसद में अपनी बात रखते हुए.. शर्मिंदा, विश्वासघात, भ्रष्ट, पाखंड, अक्षम आदि बुनियादी शब्दों का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी. मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करूंगा. लोकतंत्र के लिए लड़ना है."
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इस मसले पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि उन्हें 1100 पन्नों का शब्दकोश पढ़ना चाहिए जिसमें असंसदीय शब्द हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे असंसदीय शब्दों की सूची 1954, 1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी की गई थी और वर्ष 2010 के बाद से यह हर वर्ष जारी की जाती है. बिरला ने कहा कि सांसदों को संविधान द्वारा सदन में अभिव्यक्ति की पूर्ण आज़ादी दी गई है.
इनपुट- भाषा
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