बीच में ही भारत जोड़ो यात्रा छोड़ना चाहते थे राहुल गांधी, अब के सी वेणुगोपाल ने बताई क्या थी वजह

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Feb 12, 2023, 07:15 AM IST

Rahul Gandhi

Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने खुलासा किया है कि राहुल गांधी 3 दिन में ही भारत जोड़ो यात्रा छोड़ना चाहते थे.

डीएनए हिंदी: राहुल गांधी ने जब भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी तो विपक्षियों का कहना था कि वह इस यात्रा को पूरा नहीं कर पाएंगे. अब कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भी खुलासा किया है कि यात्रा शुरू होने के तीसरे ही दिन राहुल गांधी पीछे हटने की सोचने लगे थे. खुद राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने भी उन्हें इसी की सलाह दी थी. हालांकि, बाद में राहुल गांधी ने अपना विचार बदला और सितंबर में कन्याकुमारी से शुरू हुई इस यात्रा की अगुवाई कश्मीर तक की.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने राहुल गांधी की प्रतिबद्धता की तारीख करते हुए बताया है कि 'भारत जोड़ो यात्रा' के शुरुआती दिनों में ऐसी स्थिति आ गई थी कि राहुल गांधी पीछे हटना चाहते थे. अपने घुटने की गंभीर समस्या की वजह से वह किसी और को यात्रा का नेतृत्व देने पर विचार करने लगे थे.

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क्यों पीछे हटना चाहते थे राहुल गांधी?
राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले वेणुगोपाल ने कहा कि हालत ऐसी हो गई थी कि प्रियंका गांधी को भी कहना पड़ा था कि राहुल गंभीर दर्द की वजह से इस पैदल मार्च से हट सकते हैं और यात्रा की कमान वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को दे सकते हैं. 'भारत जोड़ यात्रा' में शामिल यात्रियों को सम्मानित करने के लिए केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वेणुगोपाल ने बताया, 'राहुल गांधी के घुटने का दर्द और बढ़ गया जब यात्रा कन्याकुमारी से शुरू होने के बाद तीसरे दिन केरल में दाखिल हुई. उन्होंने मुझे घुटने के दर्द की गंभीरता बताने के लिए बुलाया और सुझाव दिया कि किसी अन्य नेता के नेतृत्व में यात्रा को जारी रखा जाए.'

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घटनाओं की सिलसिलेवार जानकारी देते हुए के सी वेणुगोपाल ने बताया कि 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से यात्रा शुरू हुई और केरल में दाखिल हुई. उन्होंने बताया कि राहुल गांधी के बिना यात्रा कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए अकल्पनीय थी. हालांकि, राहुल गांधी ने अपनी यात्रा जारी रखी और लगभग 3 हजार किलोमीटर पैदल चलते हुए कन्याकुमारी से कश्मीर तक पहुंचे.

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