लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा, इसका फैसला हो गया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर मंगलवार को हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में राहुल गांधी के नाम पर मुहर लग गई. कांग्रेस ने कहा कि लोकसभा में राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष होंगे. गौरतलब है कि बुधवार (26 जून) को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होना है, उससे पहले ही कांग्रेस ने विपक्ष के नेता का ऐलान कर दिया है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखकर बताया है कि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे.
कांग्रेस वर्किंग कमेटी में पास किया गया था प्रस्ताव
बता दें कि हाल ही में कांग्रेस वर्किंग कमेटी में सर्वसम्मति से राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाए जाने की मांग उठी थी. कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था. जिसमें कहा गया था कि राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष चुना जाना चाहिए. हालांकि, उस दौरान राहुल गांधी ने इस प्रस्ताव पर सोचने के लिए कुछ दिन का वक्त मांगा था.
26 जून को होगा स्पीकर का चुनाव
लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच मंगलवार को आम-सहमति नहीं बन सकी. स्पीकर के लिए बुधवार यानी 26 जून को चुनाव होगा. बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए की ओर से ओम बिरला और कांग्रेस की तरफ से कोडिकुन्नील सुरेश के बीच मुकाबला होगा. सुरेश इंडिया गठबंधन के साझा उम्मीदवार हैं. दोनों नेताओं ने मंगलवार को नामांकन पत्र दाखिल कर दिया.
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स्पीकर के चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है. इस व्हिप के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी के सभी लोकसभा सांसदों को बुधवार को सदन में मौजूद रहना होगा. सदन की कार्यवाही स्थगित होने तक सांसदों की मौजूदगी अनिवार्य होगी. कांग्रेस सांसद और पार्टी के चीफ व्हिप कोडिकुन्निल सुरेश द्वारा यह तीन लाइन का व्हिप जारी किया गया.
विपक्ष ने मांगा था डिप्टी स्पीकर का पद
विपक्ष का कहना है कि वह लोकसभा अध्यक्ष पद पर सरकार का समर्थन करने को तैयार थे, लेकिन उनकी मांग थी कि सरकार बदले में उपाध्यक्ष का पद उनको दे दे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा अध्यक्ष हेतु विपक्ष से संपर्क किया था.
राहुल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सत्ता पक्ष का समर्थन करने को राजी था. हमने सभी लोगों से बात की. पूरे विपक्ष ने कहा कि हम लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को समर्थन करेंगे. लेकिन, शर्त यह है कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए. यह परंपरा रही है और पहले की सरकारों में ऐसा हुआ है. लेकिन सरकार ने उनकी शर्त मानने से इनकार कर दिया.
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