'इंटरलॉकिंग प्वाइंट पर पटरी से उतरी, फिर मालगाड़ी से टकराई', तमिलनाडु रेल हादसे पर जांच टीम का बड़ा खुलासा

Written By रईश खान | Updated: Oct 13, 2024, 09:24 PM IST

Mysore-Darbhanga Bagmati Express accident

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल की स्थिति की जांच करने के बाद ऐसा प्रतीत हुआ कि सिग्नल प्रणाली में कोई खराबी नहीं थी या सिग्नल विभाग की ओर से कोई गलती नहीं हुई थी.

तमिलनाडु के चेन्नई के पास बीते शुक्रवार को मैसूर-दरभंगा बागमती एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकरा गई थी. इस हादसे में 19 से ज्याद यात्री घायल हो गए थे. इस हादसे की जांच के लिए सिग्नल एवं दूरसंचार, इंजीनियरिंग और परिचालन विभाग के वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों की एक टीम गठित की गई थी. टीन ने घटनास्थल पर जाकर इसकी जांच की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ.

जांच में वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने पाया है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम के यांत्रिक हिस्से खुले हुए थे. आमतौर पर ये हिस्से इंजन और बोगियों के भारी प्रभाव के कारण दुर्घटना के बाद टूट जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि इंटरलॉकिंग प्रणाली में गड़बड़ी करने वाले व्यक्तियों ने किसी प्रशिक्षित व्यक्ति से जानकारी प्राप्त की थी और अनुभव हासिल करने के लिए पहले कहीं और ऐसा करने का प्रयास किया था.

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि पहले भी कवरैप्पेट्टै रेलवे स्टेशन के पास विभिन्न स्थानों से कुछ मामले सामने आए थे, जहां गड़बड़ी करने वालों ने इंटरलॉकिंग सुरक्षा प्रणाली से छेड़छाड़ की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके. सूत्र ने कहा, 'शायद उन्होंने कहीं और ऐसा करके अनुभव प्राप्त किया और अंततः कवरैप्पेट्टै में अपनी साजिश को अंजाम दिया. इंटरलॉकिंग प्रणाली को कुछ ही मिनट में उलट पुलट कर दिया गया, क्योंकि मैसूरु-दरभंगा एक्सप्रेस से 4 मिनट पहले ही एक ट्रेन उक्त इंटरलॉकिंग बिंदु को पार कर गई थी.' 

'सिग्नल विभाग से नहीं हुई कोई गलती'
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल की स्थिति की जांच करने के बाद ऐसा प्रतीत हुआ कि सिग्नल प्रणाली में कोई खराबी नहीं थी या सिग्नल विभाग की ओर से कोई गलती नहीं हुई थी. रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, टशुरू में ऐसा लगा कि सिग्नल मुख्य लाइन के लिए दिया गया था, लेकिन इंटरलॉकिंग लूप लाइन के लिए की गई थी, जिसके कारण यात्री ट्रेन लूप लाइन में घुस गई और खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई.

हालांकि, अब घटनास्थल पर मिले साक्ष्य कुछ और ही संकेत दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब ऐसा लग रहा है कि चूंकि इंटरलॉकिंग प्वाइंट से छेड़छाड़ की गई था, इसलिए इस बात की प्रबल संभावना है कि ट्रेन पहले इंटरलॉकिंग प्वाइंट पर पटरी से उतरी और फिर अपनी तेज गति के कारण मालगाड़ी की ओर बढ़ी और उससे टकरा गई. यही कारण हो सकता है कि लोको पायलट ने इंटरलॉकिंग प्वाइंट पर तेज झटका महसूस किया.

इससे पहले सुरक्षा विशेषज्ञों के एक वर्ग ने इंटरलॉकिंग प्वाइंट पर मैसूरू-दरभंगा एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की आशंका जताई थी. रेलवे के उच्चस्तरीय निरीक्षण के अलावा, रेलवे सुरक्षा आयुक्त और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने भी इस मामले में गहन जांच शुरू कर दी है. (PTI इनपुट के साथ)

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