डीएनए हिंदी: ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इस हादसे में अब तक 261 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. जबकि 900 से अधिक लोग घायल हैं. मौत का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है सर्च ऑपरेशन जारी है. इस हादसे में घायल लोगों का बेहतर तरीके से इलाज मुहैया कराया जा सके इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार आपस में मिलकर बेहतर तरीके से राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं. इस भयानक ट्रेन हादसे ने एक बार फिर भारतीय रेल यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े वादों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. रेलवे के 'सुरक्षा कवच' पर सवाल उठाए जा रहे हैं और रेल मंत्री से इस्तीफा मांगा जा रहा है.
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की. थोराट ने कहा कि केंद्र सरकार संवेदनशील नहीं है और उन्होंने ट्रेन हादसों को रोकने वाले 'सुरक्षा कवच' का क्या हुआ? भारतीय रेलवे के इस कवच को सरकार ने मास्टर स्ट्रोक और बड़ी क्रांति के तौर पर प्रचार किया था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा नई रेलगाड़ियों का उद्घाटन किए जाने के मौके पर भी रेल मंत्री कभी नहीं दिखते. उन्हें इस दुखद दुर्घटना के बाद इस्तीफा दे देना चाहिए.’
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क्या है सुरक्षा कवच?
दरअसल, साल 2020 में नेशनल ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (automatic train protection system) के तौर पर लॉन्च किया गया था. भारतीय रेलवे ने इसे रेलवे का सुरक्षा कवच बताया था. इस कवच सिस्टम को RDSO के द्वारा तैयार किया गया था. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी शुरुआत की थी. उन्होंने बताया था कि यह कवच टेक्नोलॉजी एक SIL -4 प्रमाणित टेक्नोलॉजी है. ट्रेन की सेफ्टी के हिसाब से इसे उच्च स्तरीय टेक्नोलॉजी वाला सिस्टम बताया गया.
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कवच 3 स्थितियों में करता है काम
रेलवे ने दावा किया था कि इस 'सुरक्षा कवच' टेक्नोलॉजी से जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. इस सुरक्षा कवच की वजह से ट्रेन सिग्नल जंप करने पर खुद ही रुक जाएगी. ये सिस्टम तीन स्थितियों में काम करता है. जैसे कि हेड-ऑन टकराव, रियर-एंड टकराव, और सिग्नल खतरा. इस सिस्टम में कवच का संपर्क रेल पटरियों के साथ-साथ ट्रेन के इंजन से होता है. पटरियों के साथ इसका एक रिसीवर होता है. इसके अलावा ट्रेन इंजन के भीतर भी एक ट्रांसमीटर लगाया जाता है. जिससे की रेल की असल लोकेशन पता चलती रहे.
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