डीएनए हिंदी: Rajasthan News- राजस्थान में कांग्रेस के अंदर शांत होता दिख रहा वर्चस्व का तूफान एक बार फिर घनघोर रूप ले सकता है. दरअसल, पिछले साल सितंबर में अपने इस्तीफे सौंपने वाले 90 कांग्रेसी विधायकों पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. राज्य विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी (Rajasthan state Assembly Speaker CP Joshi) ने इन इस्तीफों को अपने पास लंबित रखा हुआ है. इन विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था. साथ ही पार्टी हाईकमान से यह मांग करते हुए इस्तीफे दिए थे कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को दिल्ली शिफ्ट किया जाए, जबकि उनकी जगह सचिन पायलट (Sachin Pilot) को मुख्यमंत्री चुना जाए. पायलट और गहलोत के बीच चल रही वर्चस्व की जंग राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की नसीहत के बाद फिलहाल थम चुकी है, लेकिन इन इस्तीफों का चार महीने बाद भी स्पीकर की टेबल पर ही मौजूद होना राज्य सरकार के लिए गले की हड्डी बनता दिख रहा है. दरअसल, राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने सरकार से पूछ लिया है कि 90 विधायकों के इस्तीफे का क्या हुआ है?
हाई कोर्ट ने 16 जनवरी तक मांगा है जवाब
दरअसल, सोमवार को हाई कोर्ट ने इन इस्तीफों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने स्पीकर जोशी को नोटिस जारी किया, जिसमें उनसे यह पूछा गया है कि अपने पास लंबित कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों पर उन्होंने क्या फैसला लिया है? हाई कोर्ट ने राज्य के एडवोकेट जनरल एमएस सिंघवी (Rajasthan Advocate General MS Singhvi) को स्पीकर से इस नोटिस का जवाब लेकर दाखिल करने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को रखी गई है. इससे पहले सिंघवी को यह जवाब दाखिल करना है.
भाजपा विधायक ने दाखिल किया है मुकदमा
दरअसल, हाई कोर्ट में यह मुकदमा भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ (BJP MLA Rajendra Rathore) ने दाखिल किया है. राठौड़ ने स्पीकर पर जानबूझकर सरकार बचाने की कोशिश का आरोप लगाया है. साथ ही हाई कोर्ट से उन्हें सत्ताधारी कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लेने के लिए निर्देश देने की मांग की है.
23 जनवरी से है विधानसभा सत्र, हो सकता है हंगामा
राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र 23 जनवरी से शुरू हो रहा है. माना जा रहा है कि कांग्रेस विधायक इससे पहले ही अपने इस्तीफे वापस ले लेंगे. लेकिन विपक्षी दल भाजपा इसे मुद्दा बनाने के मूड में है. भाजपा सूत्रों के मुताबिक, सत्र के दौरान पार्टी विधानसभा में इस मुद्दे पर सवाल उठाएगी कि आखिर किस कारण से कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों पर 4 महीने तक फैसला नहीं लिया गया. ऐसे में इस्तीफों पर फैसले की यह देरी कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बन सकती है.
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